Ahankar (अहंकार) by Munshi Premchand Hindi Novel ebook pdf
e-book name- Ahankar (अहंकार)
Author- Munshi Premchand
File format- PDF
PDF size- 5mb
Pages- 255
Quality- good, no watermark
योरप में फ्रांस का सरस साहित्य सर्वोत्तम है। फ्रेंच साहित्य में ‘अनाटोले फ्रॉस’ का नाम अगर सर्वोच नही तो किसी से कम भी नहीं, और ‘थायस’ उन्हीं महोदय की एक अद्भुत रचना है-हाँ ऐसी विलक्षण साहित्यिक कृत्य को अद्भुत ही कहना उपयुक्त है । सत्यम, सुन्दरम, शिवम, इन तीनों ही गुणों का यहाँ ऐसा अनुपम समावेश हो गया है कि एक अंग्रेज़ समालोचक के शब्दों में ‘यह साहित्यिक अंगविन्यास’ का आदर्श है। कथा बहुत पुरानी है, ईसा की दूसरी शताब्दि की। घटना ऐतिहासिक है। प्राचीन समय के नामो से कोई पुस्तक ऐतिहासिक नहीं होती-पुराने शिला-लेख और ताम्रपत्र भी | इतिहास नहीं हैं। इतिहास है किसी समय की भाषा और विचार को ‘ज्यक करना, और इस विषय में अनाटोले फ्रॉस ने कमाल कर दिखाया है। वह १८०० वर्ष पहले की दुनिया की आप को सैर करा देता है, शतक के पानप्राचीन वस्रों में वर्तमान काल के मनुष्य नहीं हैं, बल्कि उसी ज़माने के लोग हैं, उनकी भाषा-शैली वही है, विचार भी उतने ही प्राचीन । उस समय की ईसाई दुनिया का आप की इतना स्पष्ट औ! सजीव शान हो जाता है जितना सैकों इतिहासों के पन्ने उलटने से भी न हो सकता। ईसाई धर्म अपनी प्रारम्भिक दशा की कठिनाइयों में पदा हुआ था। उसके अनुयायी अधिकांश दीन, दुर्थल प्राणी थे जिन्हें अमीरों के हाथों नित्य कट पहुँचा करता था। उधझेणी के लोग भोग विलास में डूबे हुए थे। दार्शनिकता की प्रधानता थी, भाँति-भाँति के बार्दोका झोस्योर या कोई प्रकृतवादी था, कोई सुखवादी, कोई दुग्ख* वादी, कोई विरागवादी, कोई शंकावादी, कोई मायावादी। ईसाईमत, की विद्वाब तथा शिक्षित समुदाय सुच्छ समझता था। ईसाई जोग भी सूत्र, मेत, टोना, बज़र के क़ायल थे। आपको सभी वादों के माबनेवाले मिलेंगे जिनका पकपक वाक्य आपको सुग्ध कर देगा। टिमाक्ज़ीज़, निसियास, कोटा, हरमोडोरस, जेनायेमीस, यूकाइटीङ्ग, यथार्थ में भिन्मभिन्न वादों ही के नाम हैं। ईसाई मत स्वर्थ कई सम्प्रदायों में विभत हो गया है। उनके सिद्धान्तों में भेद है, एक दूसरे के दुश्मन हैं। लेखक की कलाचातुरी इसमें है कि एक ही मुलाक़ात में आप उसके चरित्रों से सदा के लिए परिचित हो जाते हैं। पालम की तस्वीर कमीं आपके चित्त से व उतरेगी। कितना सरल, प्रसन्नधुख, दयालु प्राणी है। उसे आप अपने वाीचे में पेड़ों को सींचते हुए पायेंगे। अईिसा का ऐसा भक्त कि अपने कन्धों पर बैठे हुए पक्षियों को भी नहीं उड़ाता; सँभद्ध-सैमल कर चलता है कि कहीं उसके सिरपर बैठा हुआ कबूतर…मुंशी प्रेमचंद
Hindi Novel ebook pdf of Ahankar