Bhago Nahi Duniya Ko Badalo (भागो नहीं दुनिया को बदलो) by Rahul Sankrityayan Hindi ebook

Advertisement

Bhago Nahi Duniya Ko Badalo (भागो नहीं दुनिया को बदलो) by Rahul Sankrityayan Hindi ebook pdf

Bhago Nahi Duniya Ko Badalo by Rahul Sankrityayan ebook
e-book name- Bhago Nahi Duniya Ko Badalo (भागो नहीं दुनिया को बदलो)
Author name- Rahul Sankrityayan
Language- Hindi
File format- PDF
Size- 15mb
Pages- 376
Quality- good, without any watermark

Advertisement

तीन बरिस पहिले मैंने इस पोथीकी लिखा था। तबसे अपने देसमें बहुत बड़ा फेर-फार हुआ है। उस बखत भी मैं देखता था कि लड़ाईके पीछे हिन्दुस्तानको गुलाम बनाकर रखा नहीं जा सकता सी बात अब अखिके सामने है। गुलामी गई मुदा गरीबी बाकी है। गरीबी दूर करके हिन्दुस्तान को एक बलवान देस बनना है । रूस और अभिरका के बाद तीसरी जगह अपने देसकी लेनी है। मुदा, यह मुंह से कहनेसे नहीं होगा । इसकी खातिर समूचे देसमें पंचैती खेती, नये ढंगकी खेती और कल-कारखाने छा जाना चाहिए और जल्दीसे जल्दी। कुल पच्चीस बरिस हमारे पास है। इसी बीच हमें यह कुल मंजिल मारना है। यह तभी हो सकता है कि सब जगह सेठोंके ‘लाभ-सुभ”को हटाकर देसकी भलाईकी सामने रक्खा जाय । सेठ और सेठके पायक लोग लम्बी-लम्बी बात करके भरमाना चाहते हैं और देसकी भलाईका बहाना करके ! हमें बात नहीं, काम देखना है। काममें देख रहे हैं कि लड़ाईके बखत भी सेठ लोगोंने दोनों हाथोंसे नफा बटोरा और आज भी उन्हींकी पाँचो अँगुरी धीमें है। खाली चीनीपरसे अाँकुस ५ कनटरोल ) उठानेसे कई करोड़ रुपैया सेटोंकी थैलीमें चला गया। कपड़ा और अनाज परसे अाँकुस उठनेपर और बहुत करोड़ रुपैया सेठों और चोरबजारी बनियोंकी थैलीमें जायगा। कब तक थोड़ेसे आदमियोंके हाथ में देसका मारा धन और देसकी सारी जिनगी बटुरती जायगी ? और, ऊपरसे जो बेसी नफपर बड़ा एकमटिकस (इनकम टैक्स ) भी सेठोंपरसे उठा लिया गया है। सेठोंके लिए सब काम कितनी फुतींसे ही रहा है, सो हमारे सामने है।
दूसरी ओर जनताकी भलाईके सब काम में आज-कल आज-कल हो रहा है। जिमदारी उठानेकी बात खटाईमें पड़ी हुई है। कमेरोंके खिलाफ खूब हथियार चलाया जा रहा है और उनको फोड़कर आपसमें लड़ानेकी तदबीर की जा रही है। बाहर से, कमेरोंके परघट दुसमन बारयाम उछल-कूद रहे हैं। मुदा, एक ही भरोसा है ‘जिसको सालिगरामको भूनकर खानेमें अबेर नहीं हुई उसे बैगन भूननेमें कितनी देर लगेगी ?” जनताका तागत बहुत बढ़ गई है। जनता के सेवकोंकी भी तागत बहुत बढ़ी है। कुल जन-सेवकोंको एक होनेका बखत आ गया है । धरके भीतर कमुनिस, सोसलिस, फरवरबिलाकी, करन्तिकारी सोसलिस आपसमें चाहे लड़ी मुदा बूझ लो कि अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ सकता । जो सब लोग आपुसमें मिलकेर काम नहीं कर सकते हैं तो कमेरोंके पंचैती राज ( समाजवादी प्रजातन्त्र ) का सपना दूर बहुत दूर चला जायगा। लड़ाईके बाद अब क्या करना चाहिये, यही बात इस छापमें बढ़ा दी गई है। और पहले का बहुत-सी पाँती और एक समूचा अधियाए निकाल दिया गया है।- राहुल साकृत्यायन

Collect the book PDF or Read it Online
Hindi ebook pdf Bhago Nahi Duniya Ko Badalo

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *