Biraz Bohu (बिराज बहू) by Sharat Chandra Chattopadhyay Hindi ebook pdf
e-book name- Biraz Bohu (बिराज बहू) Hindi novel
Author name- Sharat Chandra Chattopadhyay
File format- PDF
PDF size- 3mb
Pages- 156
Quality- good, no watermark
स्वामी-भक्ति का पाठ पढ़ा कर पुरुष ने नारी को अपने हाथ का खिलौना बना लिया । विराज भी ऐसे वातावरण में पली थी। उसने अपने पति को ही सर्वस्व मान लिया था। उसने स्वयं दुःख बर्दाश्त किया, परन्तु पति को सुखी ररीने को हर तरह से चेष्टा की । लेकिन इस सबके घदले में उसे मिला क्या ! लाञ्छना और मार । तीन दिन की भूवी-प्यासी-वुसार से चूर विराज अपने पति नीलाम्बर के लिए बरसात की अन्धेरी रात में भीगती हुई चावल की भीग्व माँगने गई। .और नीलाम्बर ने उसके सतीत्य पर सन्देह किया, उसे लाञ्छना लगाई ।. विराज का अगिापान जाग उठा । पति की गोद में शिर रस घर मरने मी साध करने वाली विराज अपने सर्वस्य पी छोड़ कर चल दी .और जब उसे अपना अन्त समय दिखाई दिया तो यह पति के समीप पहुँचने को तड़प उठी।
उस सती-साध्वी को पति का सामीप्य मिला अवश्यलेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.पति-सुख कुछ समय को पुन: प्राप्त कर वारम्वार पदधूलि माथे से लगा कर विराज अपने सारे दु:खों को भूल गई। अन्तिम क्षण पति से कहती गई, ‘मेरी देह शुद्ध है, निष्पाप है। अब मैं चलती हूँ जाकर राह देखती रहूँगी।’ वङ्गाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शारतचन्द्र चट्टोपाध्याय के ‘विराज वो’ का हिन्दी अनुवाद है यह विराज बहू।.
Hindi novel ebook pdf Biraz Bohu