Hamare Gavon Ki Kahani by Ramdas Gour Hindi ebook pdf

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Hamare Gavon Ki Kahani (गाँवों की कहानी) by Ramdas Gour Hindi ebook pdf

Gavon Ki Kahani by Ramdas Gour ebook

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ebok name- Gavon Ki Kahani (गाँवों की कहानी)
Author- Ramdas Gour
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 216
Size- 7mb
Quality- nice, without any watermark

आधुनिक ऐतिहासिक विद्वान् विशेषत भारतवर्ष के इतिहास के सम्बन्ध में मुख्य धारणाओ के साथ अपने सभी विचारो को सुसगत करने की कोशिश करते है। उनकी एक धारणा यह है कि पाश्चात्य इतिहास की तरह यहाँ का इतिहास भी विकासवाद के अनुरूप होना चाहिए । दूसरी धारणा यह है कि मानव सभ्यता का इतिहास इतना पुराना नहीं है जितना हिन्दू बताते है। तीसरी धारणा यह है कि आर्य लोग कहीं विदेश से भारत में किसी भूतकाल में आये थे। पहली धारणा में यह दुर्बलता है कि विकास-विज्ञान उत्तरोत्तर वर्धमान शास्त्र है। उसके आधार पर इतिहास की कोई स्थिर इमारत सभी देशो और कालो के लिए सुभीते से नही खडी की जा सकती। दूसरी धारणा भी पहली के ही आधार पर है और विज्ञान गत पचास बरसो के भीतर सृष्टि और सभ्यता के भूतकाल की सीमा को बराबर बढाता आया है, अत इस धारणा में भी स्थिरता का अभाव है। तीसरी धारणा कुछ विशेष कल्पनाओ के आधार पर है जिन पर भी विद्वानो का मतभेद है। हमारा प्राचीन साहित्य हमारे निकट उसका तनिक भी समर्थन नहीं करता । सुतरों में तीसरी धारणा को निराधार मानता हैं।
पाठको के सामने भारतीय गांवी के इतिहास के जो ये पृष्ठ में रख रहा हैं, उनमें मैने उपर्युक्त तीनो धारणाओ की जानबूझ कर उपेक्षा की है। साधारण पाठक भी इस झगडे में नही पडना चाहेगे कि सतयुग पाँच हजार पहले हुआ या बीस लाख बरस पहले । या यह कि सतयुग में यदि वह सृष्टि काल के पास था, मनुष्य को कपडे बनाने की कला आनी चाहिए या नही?अथवा यह कि यहाँ के गाँवो को आयों ने वाहर से आकर बसाया या वे भारत में पहले से ही बसे हुए थे। हमारे इतिहास का आधार हमारा साहित्य है और उसमें भी यह विषय सर्वसम्मत है कि वेदो से अधिक पुराना ससार में कोई साहित्य नही है। पुराने-से-पुराने साहित्य के आधार पर प्राचीनतम गाँवो का इतिहास अवलम्बित है, फिर चाहे उसे पाँच हजार वरस हुए हो, चाहे पाँच लाख । हमारे गांवो की जव से आबादी है हम उसी समय से अपने वर्णन का आरम्भ करते है। फिर चाहे वे गांव इस भूतल पर किसी देश के क्यो न ही वे गाँव हमारे ही थे किसी और जाति के नही । इस कहानी के लिखने का उद्देश्य यह है कि हम अच्छी तरह देखें कि हमारी उन्नति कहाँतक हुई थी और आज हमारा पतन किस हद तक हुआ है। अपनी वर्तमान स्थिति को अच्छी तरह समझने के लिए भूतकाल की स्थिति का जानना आवश्यक है, क्योकि वर्तमानकाल भूतकाल का पुत्र है। साथ ही भावी उन्नति और उत्थान के लिए ठीक मार्ग निश्चय करने में भूतकाल का इतिहास बडा सहायक होता है। आज हमारे गाँवो के लिए जीवन और मरण का प्रश्न खडा है। इसे हल करने के लिए भी हमें अपने पूर्वकाल का सिहावलोकन करना आवश्यक है। ग्राम सगठन की समस्या देश के सामने है। उसकी पूति में इस कहानी से सहायता मिल सकती है। इस कहानी की हमारे ग्राम सगठन के काम में कुछ भी उपयोगिता सिद्ध हुई तो मैने, इस पोथी के सकलन में, जो कुछ परिश्रम किया है उसे सार्थक समझुंगा। – रामदास गौड़
Hindi ebook pdf Hamare Gavon Ki Kahani

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