Amrita Pritam by Amrita Pritam PDF

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Amrita Pritam by Amrita Pritam

Book Type- Hindu Hindi Autobiography ebooks
File Format- PDF
Language- Hindi
Total Pages- 772
Size- 95Mb
Quality- HQ, without any watermark,

Amrita Pritam
अमृता प्रीतम

लेखिका के बारे में

अमृता प्रीतम (1919–2005) पंजाबी और हिन्दी साहित्य की सबसे प्रसिद्ध और संवेदनशील लेखिकाओं में से एक थीं। उन्हें पंजाबी की पहली प्रमुख महिला कवयित्री कहा जाता है। उन्होंने सौ से अधिक कृतियाँ लिखीं जिनमें कविता-संग्रह, उपन्यास, निबंध और आत्मकथाएँ शामिल हैं। उनकी सबसे चर्चित कविता “आज आख़ाँ वारिस शाह नूँ” है, जो विभाजन की त्रासदी को दर्शाती है।

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आत्मकथा “अमृता प्रीतम” के बारे में

उनकी आत्मकथा का शीर्षक ही उनका नाम “अमृता प्रीतम” है। इसमें उन्होंने अपने जीवन की घटनाओं, संघर्षों, प्रेम और साहित्यिक साधना का खुला चित्रण किया है। यह पुस्तक सिर्फ जीवन-कथा नहीं बल्कि एक भावनात्मक और आत्मिक यात्रा है।

  • इसमें उन्होंने अपने बचपन और युवावस्था, पिता के प्रभाव और शुरुआती लेखन की बातें लिखी हैं।
  • भारत विभाजन और उससे जुड़े दर्द को उन्होंने बहुत गहराई से महसूस किया और उसका असर इस आत्मकथा में झलकता है।
  • अमृता ने अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और प्रेम-जीवन का भी बेबाक चित्रण किया है—विशेषकर उर्दू शायर साहिर लुधियानवी के प्रति उनके गहरे प्रेम और बाद में चित्रकार इमरोज़ के साथ उनके लंबे साथ का।
  • यह आत्मकथा बताती है कि एक महिला होते हुए उन्होंने समाज की परंपराओं और बंधनों को तोड़कर अपनी राह बनाई।

आत्मकथा का संदेश

  1. ईमानदारी से जीना और लिखना – अमृता ने बिना झिझक अपनी भावनाओं को उजागर किया।
  2. औरत की स्वतंत्र पहचान – उन्होंने दिखाया कि महिला भी अपनी सोच और जीवन को खुले रूप में जी सकती है।
  3. प्रेम और आत्मा का गहरा संबंध – उनके लिए प्रेम सिर्फ शारीरिक या सामाजिक संबंध नहीं बल्कि आत्मिक और शाश्वत अनुभूति था।
  4. साहित्य और जीवन का संगम – उनका लेखन उनके जीवन के अनुभवों का सजीव प्रतिबिंब है।

इस प्रकार, “अमृता प्रीतम” आत्मकथा सिर्फ उनकी कहानी नहीं है, बल्कि यह एक युग का दर्पण है। इसमें विभाजन का दर्द, औरत की जिजीविषा, प्रेम की ऊँचाई और एक सृजनशील आत्मा की यात्रा को समझा जा सकता है।

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