Astanga Hrdayam by Brahmanand Tripathi
Book Type- Hindu Hindi ebooks
File Format- PDF
Language- Hindi
Total Pages- 387
Size- 72Mb
Quality- HQ, without any watermark,

अष्टाङ्ग हृदयम् आयुर्वेद का एक प्रमुख शास्त्रीय ग्रंथ है, जिसकी रचना आचार्य वाग्भट ने की थी। यह ग्रंथ चरक संहिता और सुश्रुत संहिता के बाद आयुर्वेद का तीसरा आधार स्तम्भ माना जाता है। इसमें आयुर्वेद के आठ अंगों – कायचिकित्सा, शल्य, शालाक्य, कौमारभृत्य, अगद, भूतविद्या, रसायन और वाजीकरण – का विस्तृत ज्ञान संहिताबद्ध है।
ग्रंथ की संरचना
अष्टाङ्ग हृदयम् संस्कृत भाषा के श्लोकों में रचित है। इसमें कुल 6 स्थान (भाग) और 120 अध्याय हैं –
- सूत्रस्थान – आयुर्वेद के मूल सिद्धान्त, दैनंदिन और ऋतुचर्या
- शरीरस्थान – शरीर विज्ञान और गर्भविज्ञान
- निदानस्थान – विभिन्न रोगों के लक्षण और निदान पद्धति
- चिकित्सास्थान – उपचार पद्धति, औषधियाँ और चिकित्सा विधियाँ
- कल्पस्थान – औषध निर्माण, रस-औषधि और विष विज्ञान
- उत्तरस्थान – विशेष रोग, बाल चिकित्सा, स्त्री रोग, शल्य व नेत्र रोग
ब्रह्मानन्द त्रिपाठी का योगदान
आधुनिक समय में आयुर्वेदाचार्य डॉ. ब्रह्मानन्द त्रिपाठी ने इस ग्रंथ का हिन्दी अनुवाद और व्याख्या प्रस्तुत की है। उनका संस्करण आज अधिकांश आयुर्वेदिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों में मानक पाठ्यपुस्तक के रूप में पढ़ाया जाता है। उनकी पुस्तक की विशेषताएँ हैं –
- सरल और स्पष्ट हिन्दी भाषा में अनुवाद
- जटिल श्लोकों की सहज व्याख्या
- शास्त्रीय ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बीच सामंजस्य
- विद्यार्थियों और चिकित्सकों के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण
महत्व
- यह पुस्तक आयुर्वेदिक शिक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है।
- इसमें केवल रोगों की चिकित्सा ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली पर भी विशेष बल दिया गया है।
- पंचकर्म, आहार-विहार और प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व को सरल भाषा में समझाया गया है।
- आज भी आयुर्वेद चिकित्सक और विद्यार्थी इसे मार्गदर्शक ग्रंथ मानते हैं।
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