Brihad Hasta Rekha Shastra (बृहद् हस्तरेखा शास्त्र) Hindi ebook pdf
Book name- Brihad Hasta Rekha Shastra (बृहद् हस्तरेखा शास्त्र)
Author- Narayan Dutta Shrimali (डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली)
Book Type- Hindi Astrology book
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 244
Size- 25mb
Quality- good, without any watermark

भूमिका-
कराने वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती।
कर पृष्ठे स्थितोब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम् ।।
ये दो पंक्तियां ही हाथ का महत्त्व सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है, हमारा हाथ एक सामान्य हाय ही नहीं है, अपितु पार्मिक बाध्यात्मिक दृष्टि से इसमें सभी देवताओं का निवास है, भौतिक दृष्टि से मानव की ओजस्विता और कार्य-शक्ति का पुंज है और ज्योतिष की दृष्टि से सम्पूर्ण जीवन की हलचल का स्रोत है। हमारा जीवन वेगमय है, निरन्तर सक्रिय है, और पल-पल परिवर्तनशील है, और इस सारे परिवर्तन का, जीवन के संघर्षों का, तथा मानव के पात-प्रतिघातों का यह सम्पूर्ण रूप से प्रतिबिम्ब है, जिसके माध्यम से भूत को जानकर विश्वास करते है, वर्तमान को समझते हैं और भविष्य को पहचान कर उसके अनुसार अपने-चाप को ढालने का प्रयत्न करते हैं जिसकी वजह से हम स्थिर वेगमय रह सकें। जोरों का तूफ़ान चल रहा है और हमें इस तूफ़ान में ही कदम बढ़ाने हैं, परन्तु यदि तूफान-मांधी सामने पा रही है, तो हमें एक-एक पग उठाने में तकलीफ़ होगी, पर यदि तूफ़ान पीठ की ओर से आ रहा है, तो हमें वह तूफान सहायता देगा, हमारे पैर प्रासानी से उठेगे, हम सुविधा से गतिशील होकर सुगमतापूर्वक अपने गन्तव्य स्थल तक पहुंच सकेंगे।
इस संसार में भी निरन्तर घात-प्रतिघात, संघर्ष-कशमकश का तूफ़ान चल रहा है, और हमें इस तूफ़ान में ही अपनी मंजिल तक पहुंचना है। हस्तरेखा शास्त्र यह जानकारी देने के लिए आपका सहायक हो सकता है कि तूफ़ान का वेग किस भोर से है? माप कौन सा रास्ता चुनें, जिससे तुफ़ान माप की पीठ की ओर से बहे और आप सुविधापूर्वक अपने गन्तव्य स्थल तक पहुंच सकें।
हमारे सम्पूर्ण जीवन की छोटी से छोटी घटना हथेली में अंकित है, हथेली पर पाई जाने वाली सूक्ष्म से मूक्ष्म रेखा का भी अपने-आप में महत्त्व है। कोई भी रेखा व्यर्थ नहीं है, किसी भी रेखा का अस्तित्व निरर्थक नहीं है, आवश्यकता है ऐसे हस्तरेखा-शास्त्री की, जो इन रेखाओं को पढ सके.छोटी से छोटी रेखा के महत्व को समझ सके भौर उसे स्पष्ट कर सके।
वस्तुत: भविष्य-कथन हमारे युग की सर्वोच्च उपलब्धि है, क्योंकि जितना संघर्ष माज के युग में है, उतना पहले कभी नहीं रहा, और हस्तरेखा विज्ञान ने जितनी प्रगति इस युग में की है, उतनी पहले कभी नहीं हुई। अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, जापान भादि उन्नत देशों में इससे संबंधित वैज्ञानिक परीक्षण हुए है तथा वहाँ के विश्व विद्यालयों में इस विज्ञान को प्राथमिकता दी जाने लगी है। चिकित्सा क्षेत्र, तथा भविष्य-कथन के क्षेत्र में तो इसकी उपयोगिता निर्विवाद है।
इस कशमकथा के युग में हम इस विज्ञान के माध्यम से अपने भावी जीवन को समझ सकते हैं, पाने वाले समय के संघर्षों से परिचित हो सकते है, और उनको ध्यान में रखते हुए हम भावी जीवन की योजना बमा सकते है। उसके अनुसार अपने प्यार को व्यवस्थित कर सकते हैं, तथा संघर्षों, सतरों, घात-प्रतिघातों से अपने-आप को बचाते हुए जल्दी से जल्दी अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं, वांछित कार्य को सम्पन्न कर अपने व्यक्तित्व का विस्तार कर सकते हैं।
बाज सारे विश्व की आँखें इससे संबंधित शान के लिए भारत की पोर लगी हैं, और इस समय में भारत का यह कर्तव्य है कि वह आगे बढ़कर इस क्षेत्र में नेतृत्व करे, विश्व को दिशा निर्देश दे और नवीनतम सूत्रों से परिचित कराए।
काफी समय से इस बात की भावश्यकता अनुभव की जा रही थी कि सामुद्रिक शास्त्र पर एक ऐसा सांगोपांग ग्रन्थ लिखा जाये, जिसमें हस्तरेखा से संबंधित सभी अंगों-उपांगों का सचित्र विवरण वर्णन हो तथा सरलतम भाषा में उच्चतम ज्ञान दिया जा सके। मुझे विश्वास है कि यह ग्रंथ इस उद्देश्य की पूर्ति में सहायक हो सकेगा।
इस ग्रन्थ में मैंने भारतीय एवं पाश्चात्य सामुद्रिक ग्रंथों का निचोड़ दिया है, साथ ही यह भी बताया है कि दोनों पद्धतियों में मूलतः क्या अन्तर है? यह अन्तर क्यों है ? सही पद्धति कौन-सी है? तथा किन सुत्रों के माध्यम से सही-सही भविष्य कथन किया जा सकता है?
इस पुस्तक में पहली बार इन तथ्यों का समावेश हमा है, साथ ही हाथ की रेखाबों के बारे में, उंगलियों व उनके जोड़ों के बारे में, तथा मानव के अन्य चिह्नों के बारे में विस्तार से विवरण संगृहीत हुमा है, इन सबके पीछे है, मेरा अध्ययन, अध्ययन से भी बढ़कर है विषय प्रतिपादन-पौर विषय प्रतिपादन से भी बढ़कर है मेरा इस क्षेत्र में बों का अनुभव।
भारत ही नहीं, विश्व के सामुद्रिक ग्रन्थों में भी ज्योतिष योगों का पूर्ण विवरण-वर्णन नहीं है, क्योंकि यह विषय दुरूह है, दुर्गम है, अप्राप्य है। इस पुस्तक में पहली बार दो सौ चालीस से भी अधिक हस्तरेखा योगों का सांगोपांग अध्ययन स्पष्ट हुमा है, यह इस पुस्तक की विशेषता है।
इसके अतिरिक्त मैंने शरीर, अंग लक्षण, हस्त लक्षण आदि भी विस्तार से स्पष्ट किए है, साथ ही व्यावहारिक अनुभव के लिए हस्त चित्र के माध्यम से सम्पूर्ण भूत, भविष्य-कथन कर पुस्तक को प्रामाणिकता प्रदान की है।
मुझे विश्वास है, मेरे पाठकों को व ज्योतिष के विद्वानों को मेरा यह परिश्रम सार्थक लगेगा. और मुझे यह भी विश्वास है कि वे इस पुस्तक से निश्चय ही लाभान्वित होंगे।- नारायणदत्त श्रीमाली
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