Kabuliwala By Rabindranath Tagore
Book Type- Hindu Hindi Translated ebooks
File Format- PDF
Language- Hindi
Total Pages- 12
Size- 2.3Mb
Quality- HQ, without any watermark,

काबुलीवाला – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
परिचय लेखक का :
रवीन्द्रनाथ ठाकुर (1861–1941) भारतीय साहित्य के महान कवि, कथाकार, गीतकार और दार्शनिक थे। उन्हें 1913 में गीतांजलि काव्य-संग्रह के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। वे केवल साहित्यकार ही नहीं बल्कि चित्रकार, संगीतकार और शिक्षाविद भी थे। उनकी कहानियाँ मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों की गहराई को अत्यंत सहज और मार्मिक शैली में प्रस्तुत करती हैं। उन्हीं की लिखी प्रसिद्ध कहानियों में से एक है काबुलीवाला।
कहानी का सारांश :
यह कहानी एक अफ़ग़ान फल बेचने वाले अब्दुर रहमान की है, जिसे सब काबुलीवाला कहकर पुकारते हैं। वह हर साल काबुल से कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) फल बेचने आता था। कहानी में उसका संबंध एक छोटी बच्ची मिनी से जुड़ता है। मिनी चंचल और बातूनी बच्ची थी। काबुलीवाले की अपनी भी एक छोटी बेटी थी, जिसे वह पीछे काबुल में छोड़कर भारत आता था।
मिनी और काबुलीवाला के बीच का रिश्ता बेहद भावनात्मक था। वह मिनी से बातें करता, उसे बादाम-किशमिश देता और बच्ची उससे खुलकर हँसती-बोलती। यह रिश्ता पिता-पुत्री जैसा हो गया था।
लेकिन एक दिन काबुलीवाला एक झगड़े में फँसकर हत्या के प्रयास के आरोप में जेल चला गया। कई वर्षों तक मिनी बड़ी हो गई, और काबुलीवाला कैद में रहा। जब वह जेल से रिहा हुआ, तब वह सीधे मिनी के घर गया। उस दिन मिनी की शादी थी। काबुलीवाला ने सोचा कि वह अपनी प्यारी ‘छोटी दोस्त’ से मिलेगा। लेकिन अब मिनी बड़ी हो चुकी थी, और अपने नए जीवन में व्यस्त थी।
फिर भी, मिनी के पिता ने उसकी भावनाओं को समझा और उसे कुछ पैसे दिए, ताकि वह अपने वतन लौटकर अपनी बेटी से मिल सके।
कहानी का संदेश :
कहानी मानवीय रिश्तों, स्नेह और संवेदनाओं की मार्मिक झलक प्रस्तुत करती है। यह दिखाती है कि भाषा, देश, संस्कृति सब अलग होने के बावजूद इंसानियत और प्यार हमें जोड़ते हैं। काबुलीवाला और मिनी का रिश्ता यही सच्चाई उजागर करता है। इसके साथ ही यह कहानी प्रवासी जीवन की पीड़ा, अपने परिवार से दूर रहने की मजबूरी और पिता-पुत्री के स्नेह को बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित करती है।
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