Karm-Yog (कर्म-योग) Swami Vivekananda e book in hindi
 e-book name- Karm-Yog (कर्म-योग)
 Author- Swami Vivekananda (स्वामी विवेकानन्द)
 Book Type- Hindi spiritual book
 File Format- PDF
 Language- Hindi
 Pages- 151
 Size- 4mb
 Quality- good, without any watermark
हम जो कुछ हैं ? उसके लिए हम उत्तरदायी हैं। हम जो कुछ भी होना चाहें, यह हो सकने की शक्ति, हममें है। यदि हमारा वर्तमान रूप हमारे पूर्व कार्यों का परिणाम है तो निश्चय ही अपने अज के कर्मों द्वारा हम अपना अभीप्सित भावी रूप भी बना सकते हैं, इसलिए हमें कर्म करना सीखना चाहिए।- विवेकानन्द
प्रस्तुत पुस्तक स्वामी विवेकानंद के न्यूयार्क में दिये गये आठ व्याख्यानों का अनुवाद है। यद्यपि कोई योग औरों से | न्यून नहीं, उनका समुचित अभ्यास करने से समान फल मिलता है, तथापि कर्मयोग के भीतर जो एक साहसिकता, एक शूरता है, वह शायद औरों में नहीं। अबाध गति से चलते संसार-चक्र में उसके कठोर घर्पण का भय न कर कूद पड़ना, उसके अनगनित यंत्रों की पीड़ा सह अंत में उसे वश में कर लेना, जीवन की यह कविता इन व्याख्यानों में सविशेप झलकती है। गीता की वाणी का अनुकरण करते स्वामी विवेकानंद फिर एक बार सवको संसार का वीरता पूर्वक सामना करने के लिये आहत करते हैं । यहाँ उन्होंने अंकपित स्वर से मनुष्य मात्र की महत्ती की घोपणा की है। क्षुद्र से क्षुद्र स्थिति का व्यक्ति भी कर्मयोगी हो महत्तम के सम्मान का अधिकारी हो सकता है। अपने-अपने विकास का मार्ग सबके आगे खुला है। कर्मयोग की यही शिक्षा है कि मनुष्य उसपर चलकर अपनी पूर्णता का अनुभव कर सके।- अनुवादक
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