Manovigyan(मनोविज्ञान) by Nirmala Sherjang PDF

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Manovigyan by Nirmala Sherjang

Book Type- Hindu Science related Books
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 289
Size- 29Mb
Quality- HQ, without any watermark,

मनोविज्ञान
मनोविज्ञान

निर्मला शेरजांग की पुस्तक मनोविज्ञान मन और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझने का एक व्यापक प्रयास है। इसमें उन्होंने मनोविज्ञान के आधारभूत सिद्धांतों से लेकर इसके विभिन्न आयामों तक का विस्तारपूर्वक विवेचन किया है। पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्वतापूर्ण गहराई होने के बावजूद भाषा अत्यंत सरल, सहज और स्पष्ट है, ताकि विद्यार्थी, शोधार्थी तथा सामान्य पाठक सभी इसे समझ सकें और लाभान्वित हो सकें।

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ग्रंथ के प्रारंभिक भाग में लेखिका ने मनोविज्ञान की परिभाषा, उत्पत्ति तथा विकास पर प्रकाश डाला है। प्राचीन काल में आत्मा और मन के अध्ययन से लेकर आधुनिक युग में इसे एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्वीकार किए जाने तक की यात्रा को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि मनोविज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन, व्यवहार, शिक्षा, समाज और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है।

पुस्तक में आगे चलकर मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे — संवेदना, अनुभूति, स्मृति, कल्पना, बुद्धि, व्यक्तित्व, भाषा, भावना, प्रेरणा और अधिगम की विस्तृत चर्चा की गई है। प्रत्येक विषय को व्यावहारिक उदाहरणों और वैज्ञानिक प्रयोगों के संदर्भ में समझाया गया है। जैसे, प्रेरणा को केवल एक आंतरिक शक्ति के रूप में ही नहीं, बल्कि मानवीय व्यवहार को दिशा देने वाली महत्वपूर्ण कारक शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। इसी प्रकार व्यक्तित्व को जन्मजात तथा अर्जित दोनों दृष्टियों से समझाया गया है।

इसके अतिरिक्त पुस्तक में सामाजिक और विकासात्मक मनोविज्ञान पर भी विशेष बल दिया गया है। व्यक्ति समाज में किस प्रकार अपने व्यवहार को ढालता है, समूह का दबाव, अनुकरण, नेतृत्व और संचार जैसे पहलुओं को समझने के लिए यह हिस्सा अत्यंत उपयोगी है। वहीं, विकासात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था तक मानसिक विकास के विभिन्न चरणों का सुव्यवस्थित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।

लेखिका ने अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान को भी उपेक्षित नहीं किया है। शिक्षा, उद्योग, चिकित्सा और परामर्श में मनोविज्ञान की भूमिका को उन्होंने स्पष्ट किया है। शिक्षा-क्षेत्र में अधिगम के सिद्धांत, बच्चों की रुचि और क्षमता का आकलन, तथा उचित मार्गदर्शन पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसी तरह, उद्योग और संगठनात्मक संदर्भ में श्रमिकों की प्रेरणा, नेतृत्व शैली और कार्य-संतोष की महत्ता को भी बताया गया है।

कुल मिलाकर, मनोविज्ञान केवल एक पाठ्यपुस्तक नहीं, बल्कि जीवन को समझने का एक दर्पण है। यह पुस्तक पाठकों को यह सिखाती है कि हम स्वयं को और दूसरों को बेहतर ढंग से कैसे जान सकते हैं। मानव व्यवहार को वैज्ञानिक दृष्टि से परखने और उसकी जटिलताओं को समझने के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायी है।

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