Neela Pyala by Arkadi Gaidar
Book Type- Hindu Hindi ebooks
File Format- PDF
Language- Hindi
Total Pages- 42
Size- 6Mb
Quality- HQ, without any watermark,

लेखक के बारे में – अर्कादी गैदार
अर्कादी पेत्रोविच गैदार (1904–1941) का जन्म रूस में हुआ था। वे प्रारंभ में सैनिक रहे और सोवियत सेना में भी सेवा की, लेकिन साहित्य की ओर उनका झुकाव बचपन से ही था। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने लेखन शुरू कर दिया और जल्द ही वे बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रिय लेखक बन गए।
गैदार की कहानियों में बच्चों का जीवन, उनकी मासूम इच्छाएँ और साथ ही समाज के लिए कोई न कोई नैतिक शिक्षा अवश्य मिलती है। उनकी रचनाओं में साहस, त्याग, करुणा, दोस्ती और मानवीय संवेदनाओं का बड़ा महत्व है। इसीलिए वे सिर्फ सोवियत संघ में ही नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों में भी खूब पढ़े गए।
भारत और सोवियत संघ की सांस्कृतिक मित्रता के दौरान गैदार की कई कहानियाँ हिंदी, बांग्ला और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवादित हुईं। इनमें से कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं –
- “तिमूर और उसकी टुकड़ी” (Timur and His Squad) – बच्चों की दोस्ती और टीमवर्क पर आधारित।
- “चौथा बटालियन” – युद्ध के समय साहस और संघर्ष पर लिखी कहानी।
- “नीला प्याला” – मासूमियत, त्याग और भावनाओं से भरी हुई एक मार्मिक कहानी।
गैदार का जीवन लंबा नहीं था, लेकिन उन्होंने कम समय में ही ऐसा साहित्य रचा जो आज भी बच्चों के हृदय को छूता है।
पुस्तक के बारे में – नीला प्याला
“नीला प्याला” एक छोटी मगर गहरी बाल-कहानी है, जिसे हिंदी और बांग्ला दोनों भाषाओं में खूब सराहा गया। इस कहानी का केंद्र बिंदु एक छोटा बच्चा है, जिसकी एक मासूम-सी इच्छा है—एक छोटा-सा नीला प्याला पाने की।
यह प्याला दिखने में तो साधारण है, लेकिन बच्चे के लिए यह उसकी सपनों की दुनिया का हिस्सा है। यह कहानी बताती है कि बच्चों की इच्छाएँ चाहे कितनी ही छोटी क्यों न हों, वे उनके दिल के बहुत करीब होती हैं। बड़े लोग जिन वस्तुओं को मामूली समझते हैं, वही बच्चों के लिए अत्यधिक मूल्यवान हो सकती हैं।
गैदार ने इस कहानी में यह भी दिखाया है कि मानवीय करुणा और त्याग किसी भी भौतिक वस्तु से बड़े होते हैं। नीला प्याला यहाँ केवल एक बर्तन नहीं, बल्कि जीवन में प्यार, अपनापन और संवेदनशीलता का प्रतीक है।
कहानी का संदेश
- सहानुभूति और करुणा का महत्व – किसी की छोटी-सी इच्छा को भी समझना और उसका सम्मान करना इंसानियत का सबसे बड़ा मूल्य है।
- भौतिकता बनाम भावनाएँ – असली खुशी वस्तुओं में नहीं, बल्कि रिश्तों और भावनाओं में छिपी होती है।
- बचपन की मासूमियत – बच्चों के सपनों को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि उनकी मासूम ख्वाहिशें जीवन की सच्ची सुंदरता को दर्शाती हैं।
संक्षेप में, “नीला प्याला” सिर्फ एक बाल-कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी रचना है जो हमें याद दिलाती है कि ज़िंदगी का असली सुख प्रेम, अपनापन और त्याग में है। यही कारण है कि यह कहानी आज भी बच्चों और बड़ों दोनों के दिल को छूती है।
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