Suraj Ka Satvan Ghoda(सूरज का सातवाँ घोड़ा) by Dharamveer Bharti

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Suraj Ka Satvan Ghoda(सूरज का सातवाँ घोड़ा) Hindi ebook pdf

e-book name- Suraj Ka Satvan Ghoda(सूरज का सातवाँ घोड़ा)
Book Type- Hindi Novel EBook
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 169
Pdf size- 1.1Mb
Quality- Good, without any watermark

Suraj Ka Satvan Ghoda
सूरज का सातवाँ घोड़ा

हिंदी साहित्य की दुनिया में धर्मवीर भारती का नाम एक ऐसे साहित्यकार के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने न केवल कविता और पत्रकारिता में अपनी अलग छाप छोड़ी, बल्कि उपन्यास और लघु-उपन्यास की परंपरा में भी नया मोड़ दिया। उनका लघु उपन्यास “सूरज का सातवाँ घोड़ा” (1952) आज भी हिंदी साहित्य की सबसे प्रयोगधर्मी और चर्चित कृतियों में गिना जाता है।

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यह कृति अपने शिल्प और कथन-शैली के कारण अनोखी है। उपन्यास का कथावाचक है माणिक मुल्ला, जो अपने मित्रों को किस्सों के रूप में तीन स्त्रियों—जमुना, लिली और सत्ती—की कहानियाँ सुनाता है। पहली नज़र में ये कहानियाँ प्रेम, मोहभंग और जीवन की विडंबनाओं से जुड़ी साधारण कथाएँ लगती हैं, परंतु धीरे-धीरे पाठक को यह अहसास होता है कि प्रत्येक कहानी मानवीय संबंधों और भावनाओं की गहराई में उतरने का एक माध्यम है।

भारती ने इस उपन्यास में प्रेम की पारंपरिक धारणाओं को तोड़ा है। यहाँ प्रेम केवल रोमांटिक आकर्षण या त्याग का नाम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक वर्ग, परिस्थितियों, स्वार्थ, भ्रम और मानवीय कमजोरी से भी प्रभावित होता है। माणिक मुल्ला का दृष्टिकोण इन कहानियों को किसी एक सत्य पर नहीं टिकाता, बल्कि बार-बार यह प्रश्न उठाता है कि सत्य क्या है? क्या हर कहानी का सत्य बदलता नहीं रहता, उस व्यक्ति और उसकी स्थिति के अनुसार जो इसे सुनाता है या जीता है?

उपन्यास का शीर्षक “सूरज का सातवाँ घोड़ा” अपने आप में प्रतीकात्मक है। भारतीय पौराणिक कथाओं में सूर्य के रथ को सात घोड़े खींचते हैं, जो समय और सप्ताह के सात दिनों के प्रतीक माने जाते हैं। परंतु सातवाँ घोड़ा एक रहस्यमय और अलभ्य घोड़ा है—जो उस सत्य और उस अनुभव का प्रतीक है, जिसे साधारण दृष्टि से पकड़ पाना संभव नहीं। इसी प्रकार, यह उपन्यास भी प्रेम और जीवन के उन पहलुओं की खोज करता है जो सतही दृष्टि से दिखाई नहीं देते।

धर्मवीर भारती ने इस कृति में कथा और शिल्प को नए ढंग से प्रस्तुत किया है। इसमें सीधी रेखीय कथा न होकर फ्रेम नैरेटिव है—यानी कहानियों के भीतर कहानियाँ। यह तकनीक पाठक को लगातार सोचने, प्रश्न करने और अर्थ निकालने की प्रक्रिया में शामिल रखती है।

साहित्यिक दृष्टि से यह रचना आधुनिक हिंदी उपन्यास की प्रयोगधर्मिता का उदाहरण है। इसमें कहानी, दर्शन, प्रतीक और जीवन-दृष्टि सब एक साथ गुँथे हुए हैं। यही कारण है कि इसे केवल प्रेमकथा कहना इसकी गहराई के साथ अन्याय होगा। यह कृति प्रेम के साथ-साथ मानव स्वभाव, स्मृति और कथा-कला पर भी गहन चिंतन है।

बाद में श्याम बेनेगल ने इस उपन्यास पर 1992 में फिल्म भी बनाई, जिसने इसके विचार और प्रभाव को और व्यापक दर्शकों तक पहुँचाया।

अंततः कहा जा सकता है कि “सूरज का सातवाँ घोड़ा” सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह जीवन की उन जटिल परतों का अन्वेषण है जिन्हें हम अक्सर देख नहीं पाते। यह उपन्यास पाठक को यह सिखाता है कि जीवन और प्रेम के सत्य कभी एकरेखीय नहीं होते, वे हमेशा बहुआयामी, बहुव्याख्यायित और समय के साथ बदलते रहते हैं।

प्रिय पाठकों!, इस हिंदी धर्म संबंधी निबंध पुस्तक को इकट्ठा करें और पढ़ने का आनंद लें।
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