Bhagwan Buddh Jivan Aur Darshan (भगवान बुद्ध जीवन और दर्शन) by Dharmanand Kosambi ebook pdf
e-book novel- Bhagwan Buddh Jeevan Aur Darshan (भगवान बुद्ध जीवन और दर्शन) Hindi religion
Author- Dharmanand Kosambi
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 352
Size- 6mb
Quality- nice, without any watermark
इस प्रन्य के मूस लेखक श्री धमनिन्द कोसम्बी पालि भाषा और साहित्य के प्रकाण्ड पण्डित थे । बौद्ध-धर्म-सम्बन्धी तमाम मौलिक साहित्य का गहरा अध्ययन करके वे अन्तर्राष्ट्रीय ययाति के विद्वान् बने। लेकिन उनया सारा प्रयास केवल विद्वता पाने के लिए नहीं या। वे बुद्ध भगवान् के अनन्य भक्त थे। इसीलिए उन्होंने जो कुछ पाया, जो कुछ किया, और साहित्य-प्रवृति द्वारा जो कुछ दिया, वह सब-का-सब ‘महुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ था । उनका लिखा हुआ भगवान् बुद्ध का यह चरित्र अनेक दृष्टि से मौलिक है। इसे पढ़कर युद्ध भगवान् के बारे मे हम सचवी, आधारभूत, प्रामाणिक जानकारी पाते हैं । आजकल भगवान् युद्ध के बारे में हम जो-कुछ भी पढ़ पाते हैं, वह अंग्रेजी लेधकों के सिधे हुए चरिनों का कमोबेश सार-संकलन ही होता है। सर एडविन आरनौल्ड ने ‘लाइट ऑफ एशिया’ नामक माव्य लिया और उसमे भगवान् बुद्ध की पौराणिक कथा दुनिया के सामने पेश की। यह इतनी रोचक सिद्ध हुई कि उसका असर पूर्व और पश्चिम दोनो दिशाओ के पढ़े-लिये लोगों पर बहुत ही गहरा पड़ा। ‘साइट अॉफ एशिया’ में दिये हुए युद्ध भगवान् के चित्र के निए सारी दुनिया एडविन आरनोल्ड की चिर कृतज्ञ रहेगी। लेकिन वह या एक काव्यमय चित्र ही । पॉल फरस् ने भी ऐसा ही एक रोचक चित्र अंग्रेजी गद्य मे दिया। इनके बाद कई विद्वानों ने बड़ी गवेषणा करके बुद्ध-चरित्र निये हैं। धर्मानन्द कोसम्बी द्वारा तिधित यह चरित्र शायद पहला ही चरित्र-प्रन्य है, जो किसी भारतीय व्यति ने मून पालि बौद्ध ग्रन्य ‘त्रिपिटक’ तपा अन्य आधार…
मिन सकती थी, ‘उससे लाभ उठाकर इस ग्रन्य में युद्ध भगवान् के काल की परिस्थिति पर नया ही प्रकाश डाला गया है। युद्ध भगवान् के प्रति अनन्य निष्ठा होते हुए भी धर्मानन्द जी ने असाधारण सत्यनिष्ठा से, निर्भय होकर, जो कुछ सही मासूम हुआ वही इसमें निधा है। और चूँकि बहुजन के कल्याण के लिए उन्हें लिखना था, इसलिए धर्मानन्द जी ने यह चरित्र, और अपनी दूसरी कितावें भी, सामान्य मनुष्य के समझने माथक सीधी सरल भाषा में लिखी । पालि मापा पर उनका इतना प्रभुत्व या कि वे उसे ऐसी सरलता से लिखते थे कि मानो ब्रह उनकी जन्म-भाया ही हो । उन्होंने बौद्ध-ग्रन्थों पर जो पातिटीकाएँ लिखी हैं, उनमे उन्होंने अपनी विद्वता का उपयोग सीधी बातें जटिल बनाने में, और जटिन बातें जटिलतर बनाने में नहीं किया। भारतवर्ष के लोग भगवान् बुद्ध की भूल गए हैं, उनके कल्पागमप धर्म के बारे में पण्डितों के डमाल भी विकृत हैं, ऐसा देखकर धर्मानन्द जी ने अपने सारे अध्ययन का निचोड़ तोक-गुलभ शैली की मराठी भाया में दे दिया है। उसी का शुवराती अनुवाद महात्मा जी की गुजरात विद्यापीठ ने प्रकाशित करवाया था।…काकासाहब
Hindi ebook pdf Bhagwan Buddh Jeevan Aur Darshan