Brajo Bhoomi Mohini (ब्रजभूमि मोहिनी)- Hindi ebook pdf

e-book name- Braj Bhoomi Mohini (ब्रजभूमि मोहिनी): भक्ति विजय
 Book Type- religion
 File Format- PDF
 Language- Hindi
 Pages- 442
 Size- 20mb
 Quality- best, without any watermark
श्री हरिः
 प्रकाशकीय-
 अत्यंत हर्ष का विषय है कि ब्रजभूमि मोहिनी पुस्तक का हिन्दी भाषा में चौथा संस्करण छपने जा रहा है, इससे पहिले अंग्रेजी भाषा में तीसरे संस्करण के आधार पर यह पुस्तक छप चुकी है-इस तरह तो इसे पाँचवा संस्करण भी कह सकते हैं पर भाषा की दृष्टि से चौथा संस्करण कहना ही युक्तियुक्त रहेगा। इस बार, प्रथम संस्करण की ही प्रतिकृति जैसी है यह।।
 विजय बाबा का सुन्दर-मधुर-मनमोहक प्रयास एवं परिश्रम सराहनीय है-ब्रजभूमि-ब्रजराज युगल की लीला स्थलियों की महिमा के ग्राहक रसिक जनों के लिए अमूल्य निधि है, इसमें सभी सम्प्रदायों का सहयोग है-कहीं भी मतमतान्तरों का विरोध नहीं-वाद विवाद-तर्क-कनेर बुद्धि के विषय से अछूता है। तीसरे संस्करण में पस्तक का कलेवर कछ भारी भावना के भार से बोझिल सा प्रतीत हुआ-इसलिए ही इस बार प्रथम संस्करण को ही आधार बनाया है, फिर भी तीसरे संस्करण में जोड़ी गई कुछ सामग्री का समावेश भी किया गया है।
 ब्रजनिधि प्रकाशन से सर्वप्रथम प्रसूत ग्रन्थ बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है – रस में ब्रजधाम का परिचय-ब्रजविहारी युगल तथा उनकी लीलाओं -लीला स्थलियों का सुन्दर वर्णन अनेकानेक ग्रन्थों -सिद्ध सन्त महात्माओं-सिद्ध स्थलियों के दर्शनों के आधार पर अत्यंत उपयोगी बना है। | इस पुस्तक को प्रकाशित करने का श्रेय-अंग्रेजी भाषा में ब्रजभूमि मोहिनी-पुस्तक के अनुवादक मान्यवर जयप्रकाश अग्रवाल को है। उनकी लगन और उनके अथक परिश्रम की कहाँ तक प्रशंसा करें-उनके सराहनीय कार्य की सदा सदा आभारी हूँ।
 सुशीला
परम पूजनीया भक्तिमती श्रीऊषा बहिनजी
इन नित्य लीलाविहारी का विहार शाश्वत है, सनातन है, अनादि-अनन्त है। यह ब्रजभूमि इनके लीला विहार की नित्य सरस स्थली है। नित्यविहारी युगल इस रसमयी भूमि पर प्रकट होकर अपने प्रियजनों को आनन्दोल्लास प्रदान करने के हेतु विविध लीलाएँ किया करते हैं। इनके परस रस से सरसाई यह ब्रज अवनि मोहिनी है, यहाँ के वन-उपवन, कुञ्ज-निकुंजे, श्रीयमुना, श्रीगिरिराज सभी मोहक हैं। यहाँ की सभी स्थलियों के अड़ में लीला माधुरी विलस रही है। अनेकानेक लीलाओं की गाथा कहती यहाँ की यह पावन स्थलियाँ रसिक हृदयों को इसी लीला रस के आस्वादन की त्वरा लगाया करती हैं। आज भी विहारप्रिय युगल यहाँ भाँति-भाँति की लीलाएँ करते हैं। आज भी कुञ्ज-निकुञ्जों में, यमुना-तट, पनघट- पर, वन वीथियों में निरन्तर लीला-विलास चल रहा है। आज भी उनकी पग-पैजनियों की झङ्कार से यह सुभग स्थली निनादित है. उनकी मधुर मुरली की मधुर स्वर लहरी आज भी उसी प्रकार गूंज रही है। हमारे ही नेत्र धूमिल हैं, कान विश्व कोलाहल से पूरित हैं. इसी से इस सबकी प्रतीति होने नहीं पाती। अनेकानेक भावुक-जनों ने यहीं लीला-दर्शन, आस्वादन किया है, कर रहे हैं। इस ग्रन्थ में आपको मोहिनी ब्रज-भूमि की मोहकता मिलेगी, लीला विहार की, केलि-कौतुकों की सुखद-सरस झाँकियाँ मिलेंगी। रसिक हृदयों को औरऔर रसमयता से भरने में….उस लीला रस-पान की ललक लगाने में… उस केलि-रस में निमज्जित हो जाने की और-और लालसा जगाने में यह ग्रन्थ परम सहायक होगा-ऐसा मेरा विचार है।
आशा है यह ग्रन्थ साम्प्रदायिक सङ्कीर्णताओं से मुक्त और सभी को समान भाव से आह्लाद प्रदान करने वाला सिद्ध होगा।- नन्दिनी ऊषा
Collect the pdf or Read online 
 इस पुस्तक के मूल स्त्रोत के बारे में जान सकते हैं, यहां से
 दिए गए लिंक से Brajo Bhoomi Mohini (ब्रजभूमि मोहिनी) पीडीएफ फ़ाइल संग्रह कर सकते हैं या ऑनलाइन पढ़ें।