Harivansh Puran (हरिवंशपुराण) by Magginsenachariya, Hindi Religious Book pdf
Author- Magginsenachariya
Translated by – Pannalal Jain
Book Type- Hindu Religious Book
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 507
Size- 58Mb
Quality- good, without any watermark
श्रीमज्जिनसेनाचार्यप्रणीत
हरिवंशपुराण
[हिन्दी रूपान्तर]
सम्पादक-अनुवादक डॉ. पन्नालाल जैन, साहित्याचार्य
हरिवंशपुराण न केवल कथा ग्रन्थ है किन्तु महाकाव्यके गुणोंमे युक्त उच्च कोटिका महाकाव्य भी है। इसके संतोमवें मर्गमे नेमिनाथ भगवानका चरित्र प्रारम्भ होता है वहींमे साहित्यिक मुपमा इसकी बढ़ती जाती है । इसका पचपनावा स्वर्ग यमकादि अलंकारोंमे अलंकृत है। अनेक सर्ग सुन्दर-सुन्दर छन्दोंमे विभूषित है । ऋतुवर्णन, चन्द्रोदयवर्णन आदि भी अपने ढंगके निराले हैं । नेमिनाथ भगवानके वैराग्य तथा बलदेवके विलाप आदिके वर्णन करनेके लिये जिनसेनने जो छन्द चूने हैं वे रस परिपाकके अत्यन्त अनरूप है। श्रीकृष्णकी मृत्यु के बाद बलदेवका करुण विलाप और स्नेहका चित्रण, लक्ष्मणको मृत्युके बाद रविपेणके द्वारा पद्मपुराणमें वर्णित राम-विलापके अनुरूप है । वह इतना करण चित्रण हुआ है कि पाठक अश्रुधाराको नहीं रोक सकता । नेमिनाथके
वैराग्य वर्णनको पढ़कर प्रत्येक मनुष्यका हृदय संसारकी माया-ममतामे विमुख हो जाता । राजीमतीके परित्यागपर पाठकके नेत्रोंसे सहानुभूतिको अश्रुधारा जहाँ प्रवाहित होती है वहाँ उनके आदर्श सतोत्वपर जन-जनके मानसमें उनके प्रति अगाध श्रद्धा उत्पन्न होती है।।
मृत्युके समय कृष्णके मुखसे जो अन्तिम उद्गार प्रकट हुए हैं उनमे उनको महिमा बहुत हो ऊंची उठ जाती है । तीथंकर प्रकृतिका जिमे बन्ध हुआ है उसके परिणामों में जो ममता होनी चाहिए वह अन्त तक स्थित रही है। यहाँ हम कुछ अवतरण देकर ग्रन्थकी सुषमाको प्रकट करना चाहते थे परन्तु लेखका कलेवर बढ़ जानेके भयसे वैसा नहीं कर रहा हूँ। मेरा अनुरोध है कि पाठक ग्रन्थका स्वाध्याय कर रसानुभूति करें।…
प्रिय पाठकों!, इस हिंदी धर्मग्रंथ को इकट्ठा करें और पढ़ने का आनंद लें।
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