Insan (इंसान) by Yagyadutt Sharma pdf

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Insan (इंसान) by Yagyadutt Sharma, Hindi novel pdf
Book name- ‘Insan (इंसान)’
Author- Yagyadutt Sharma (यज्ञदत्त शर्मा)
Book Type- Hindi Novel
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 256
Size- 33 Mb
Quality- good, without any watermark

Insan by Yagyadutt Sharma pdf

‘इंसान’ एक आदर्श भारतीय मानव की साकार प्रतिमा

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पुस्तक के विषय में-
‘इन्सान’ कहानी कहने के लिये नहीं आया । वह पाया है आज के उलझे हुए वातावरण में अपना सुलझा हुश्रा मार्ग प्रस्तुत करने । उपन्यास का प्रारम्भ भारत-विभाजन से होता है और प्रारम्भ में उसी का चित्रण किया गया है। ‘इन्सान’ के प्रधान पात्र रमेश बाबू, शांता और आज़ाद भारत में श्राकर अपने
अपने कार्य पर जुट जाते हैं और फिर उपन्यास से विभाजन की काली छाया एक दम लुप्त हो जाती है। भारत विभाजन के काले पटल पर यदि कोई चमकदार और प्रकाशमान समस्या रही है तो वह यही है कि ‘पुरुषार्था’ रो-रो कर अपनी करुण कहानी कहने के लिये नहीं बैठे बल्कि वह कर्मठता के पथ पर आरूढ़ होकर उन्नति की ओर अग्रसर हुए हैं। इस प्रकार कुछ अालोचक तथा मेरे सजीव पाठक इस प्रारम्भिक भारत-विभाजन के चित्रण को अनावश्यक भी समझ सकते हैं परन्तु बात वास्तव में यह नहीं है । उपन्यास आद्योपांत समस्या मूलक है और जिन समस्यायों का स्पष्टीकरण इसमें मैंने करने का प्रयत्न किया है उनका जन्म और विकास बहुत कुछ भारत-विभाजन पर ही अवलम्बित है। उदाहरण स्वरूप प्राज संसार के राजनीतिक विकास में ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ जैसी प्रतिक्रियावादी संस्था का जन्म लेना, पंजाब में सिक्खों का साम्राज्य स्थापित करने की योजना बनाना इत्यादि ऐसी घटनाए हैं जिनका भारत-विभाजन से अप्राथक्यीय सम्बन्ध है । फिर अराजकता का अवसर पाकर भारत में काम्यूनिस्ट पार्टी का वितंडावाद और तोड़ फोड़ की नीति भी इसी विभाजन के फल स्वरूप बलवती हुई । इसी अराजकता में काम्यूनिस्टों ने चीन में साम्राज्य स्थापित किया, बर्मा में विद्रोह किया और इन्डोनीशिया में चिगारी सुलगाई। इसी लिये भारत की वर्तमान समस्याओं पर एक दृष्टि डालने के लिये यह मैंने अावश्यक समझा कि इस उपन्यास का प्रारम्भ भारत-विभाजन से ही करू।….

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