Maali by Rabindranath Tagore, Hindi Book pdf

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Maali (माली) by Rabindranath Tagore, Hindi Book pdf
Book name- ‘Maali (माली)’
Author- Rabindra Nath Tagore (रवीन्द्रनाथ ठाकुर)
Book Type- Hindi Story Book (कहानी)
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 28
Size- 1 Mb
Quality- good, without any watermark

Maali (माली) by Rabindranath Tagore

माली ( ‘गार्डनर’ का हिंदी अनुवाद)
मूल-लेखक महाकवि डाक्टर रवीन्द्रनाथ ठाकुर
अनुवादक सूर्यनारायण चतुर्वेदी

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भूमिका
श्रीयुत रवीन्द्रनाथ ठाकुर इस समय सर्वमान्य विश्वविख्यात महाकवि है । उनकी कविता में इतने विचित्र भावो का समावेश रहता है कि उनका विश्लेषण करना सहज-साध्य नहीं। उनकी अधिकांश कविताएँ तो गँगे के गुड़ खाने के समान केवल समझी जा सकती है, समझाई नहीं जा सकतीं। वह स्वाभाविक कवि है। उनकी सर्वतोमुखी प्रतिभा विशेष रूप से कविता में ही विकास को प्राप्त हुई है। इसी लिए वह श्रेष्ठ कहानी-लेखक, गद्य-लेखक, समालोचक, हास्यरस के लेखक, औपन्यासिक आदि होने पर भी सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में ही पृथ्वीमण्डल में परिचित है।
उनकी रचनाएँ लोकप्रिय होने पर भी सबके लिए सुबोध नहीं हैं। उनकी गीतांजलि आदि में प्रकाशित कविताओ के विरुद्ध प्रायः यही अभियोग उपस्थित किया जाता है कि उनकी कविता अत्यन्त अस्पष्ट, जटिल या रहस्यपूर्ण है । इसमे संदेह नही कि ये कविताएँ अन्य साधारण कविताओ की भाँति स्पष्ट नही है और इन्हें घेरे हुए एक रहस्यमय कुहासा जमा हुआ है ।

इसका कारण यही है कि किसी कवि की कविता साधारणतः तभी अस्पष्ट हो जाती है जब उसका वक्तव्य विषय उसके निकट स्वयं सुस्पष्ट नही होता । प्रत्येक श्रेष्ठ शिल्पी कुछ न कुछ संदेश देना चाहता है, उसका कुछ वक्तव्य होता है। किन्तु वह वक्तव्य, वह वाणी, स्वयं उस कवि के निकट सुस्पष्ट नही हो उठती । वास्तव में इसमें रवीन्द्रनाथ का कोई दोष नहीं है। भाव की गंभीरता या भाव की अतीन्द्रियता ने ही उनकी अधिकांश आध्यात्मिक कविताओ को अस्पष्ट बना दिया है । उनके ईश्वर का, उनके प्रियतम का कोई निर्दिष्ट रूप नही है ।
रवीन्द्र बाबू की आध्यात्मिक कविताएँ ही भाव की गंभीरता या अनुभूति की अतीन्द्रियता के कारण अस्पष्ट नहीं है, किन्तु उनकी जीवन से संबंध रखनेवाली, नीति से संबंध रखनेवाली अनेको रचनाएँ ऐसी हैं, जिनके अर्थ लोग अपनी-अपनी समझ और बुद्धि के अनुसार अनेक प्रकार के करते है । रवीन्द्र बाबू ने एक “रक्तकवरी” नाटिका लिखी है । मैने बँगला पत्रो में पढ़ा था, किसी ने उसका विषय आध्यात्मिक बताया, किसी ने सामाजिक और किसी ने राजनीतिक । इसी संग्रह में एक रचना दो पक्षियो पर है, जिनमें एक स्वतंत्र है, दूसरा परतं । उसका अर्थ चाहे आध्यात्मिक कीजिए, उन्हे जीव और ब्रह्म मानिए और चाहे राजनीतिक कीजिए और उन्हे स्वतंत्र और परतंत्र देश की जनता के प्रतिनिधि समझिए । तात्पर्य यह कि रवि बाबू की कविताओ को समझने के लिए अवश्य ही अच्छी विद्या, बुद्धि और अध्ययन होना चाहिए।
यह “माली” नाम का संग्रह उनकी कुछ चुनी हुई रचनाओ का संग्रह है । इसकी उत्तमता का प्रमाण यही है कि इसका अनुवाद अँगरेजी मे भी हो गया है-और उसका अच्छा आदर तथा प्रचार हुआ है। प्रसन्नता की बात है कि हिंदी-पाठकों के सौभाग्य से हमारे मित्र और स्नेहभाजन पं० सूर्यनारायण चतुर्वेदी ने कठिन परिश्रम
करके उसका यह सुन्दर अनुवाद प्रस्तुत किया है । रवि बाबू की गद्य रचनाओ के तो कई अनुवाद हिंदी में है। इस अनुपम पुस्तक की भूमिका लिखने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ, यह मेरे लिए परम प्रसन्नता की बात है । – रूपनारायण पाण्डेय

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