Shiv Puran (शिव पुराण) Hindu Religious Hindi Book Pdf
Book Type- Hindu Religious Book
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 845
Size- 10Mb
Quality- Best, without any watermark, clickable table of contents
शिव पुराण, हिंदू धार्मिक पुस्तक पीडीएफ

शिव
कौन है ये?
एक आदमी तिब्बत से उतरा? या खुदा? या ब्रह्म उपमहाद्वीप में उसका विस्तार ही सुदूर अतीत का साक्षी है? देवादिदेव महादेव वैदिक, पौराणिक समाज से सिंधु-सरस्वती सभ्यता से आधुनिक सभ्यता तक कैसे विकसित हुए?
शिव पुराण अठारह महापुराणों में से एक है और संस्कृत में लिखा गया एक हिंदू ग्रंथ है। यह पुराण मुख्य रूप से हिंदू भगवान शिव और देवी पार्वती पर केंद्रित है, लेकिन इसमें अन्य देवी-देवताओं के संदर्भ भी हैं।
शिव पुराण में शिव की महिमा का वर्णन है।
निबेदन-
हिंदू संस्कृति में कल्याणकारी सदाशिव का स्थान सभी देवताओं में सर्वोपरि है। भारत ही नहीं, अपितु समस्त विश्व में शिव की आराधना किसी न किसी रूप में की जाती है। सर्वाधिक प्राचीन देवों में भगवान आशुतोष शिव को इस सृष्टि का नियन्ता, पालनकर्ता और संहारक माना गया है। उन्हीं की इच्छा से इस सृष्टि का आविर्भाव होता है और उन्हीं की इच्छा से इसका विनाश होता है।
प्रस्तुत ‘शिव पुराण’ में भगवान शिव के माहात्म्य, लीला और उनके कल्याणकारी स्वरूप का विस्तृत वर्णन किया गया है। योगेश्वर भगवान शिव महामंडित महादेव हैं। वे अनादि सिद्ध परमेश्वर और सभी देवों में प्रधान हैं। वेदों में भगवान शिव को अजन्मा, अव्यक्त, सबका कारण, विश्वस्रष्टा और संहारक माना गया है। शिव का अर्थ है कल्याणस्वरूप अर्थात सभी का भला करने वाला। वे देव-दानव, गंधर्व, किन्नर, मनुष्य, ऋषि-मुनि, सिद्ध, योगी, तपस्वी, संन्यासी, भक्त और नास्तिकों का भी कल्याण करने वाले हैं। विश्व कल्याण के लिए वे स्वयं गरल का पान करने वाले नीलकंठ हैं और संसार में प्रलय मचाने वाले नटराज । वे स्वयंभू भगवान हैं और सभी देव-दानवों के आराध्य हैं।
इस महापुराण में शिवतत्व का विशद् विवेचन किया गया है। सरल गद्य-भाषा में शिव के विविध अवतारों, नामों, लीलाओं, उनकी पूजा विधि, पंचाक्षर मंत्र की महत्ता, अनेकानेक ज्ञानप्रद आख्यान, शिक्षाप्रद तथा उद्देश्यपरक कथाओं का अत्यंत सुंदर आकलन किया गया है इस पुराण में प्रयास किया गया है कि भाषा को सरल से सरल रखा जाए, ताकि श्रद्धालु पाठक शिव के कल्याणकारी स्वरूप और शिवतत्व के मर्म को सहज रूप से हृदयंगम कर सकें। हमें विश्वास है कि श्रद्धालु और जिज्ञासुजन इस महान पुराण का अनुशीलन करके अपने जीवन को उपकृत कर पाएंगे क्योंकि शिव ही एक ऐसे परम ब्रह्म हैं, जो अच्छे-बुरे सभी के लिए सहज सुलभ हैं। यह उनकी विलक्षणता और अद्वितीयता ही है कि जहां अन्य साधनाओं में तमोगुण की उपेक्षा की जाती है, वहीं शिव तमोगुण का परिष्कार कर उसे ‘सत्व’ के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। विष को स्वस्थ रखने की औषधि बनाने की युक्ति-साधना शिव के अलावा और कौन बताएगा। तभी तो महादेव हैं ये । इसीलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। शिव संकल्पमस्तु !
आपके सुझावों का स्वागत है। विनीत – सावन गुप्ता
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