Taantrik Ki Diary (तांत्रिक की डायरी) by Sushil Kumar Hindi Book pdf

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Taantrik Ki Diary (तांत्रिक की डायरी) by Sushil Kumar Hindi eBook pdf
Book Type- Hindu Religious Book
Author- Sushil Kumar (सुशील कुमार)
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 176
Size- 11Mb
Quality- Best, without any watermark

Taantrik Ki Diary (तांत्रिक की डायरी) by Sushil Kumar pdf

सृष्टि के रहस्यों को जानने के लिए मनुष्य आदिकाल से चिन्तन, मनन और अनुसंधान कर रहा है और शायद अनंतकाल तक करता रहेगा। अन्वेषण के इस महायज्ञ में अब तक विश्व के अनेक मनीषी, दार्शनिक, कलाकार और बुद्धिजीवी अपनी मेधा की आहुति दे चुके हैं। सुप्रसिद्ध अस्तित्ववादी चिन्तक ज्यांपाल सार्त्र ने तो पराजित स्वर में यहाँ तक घोषित कर दिया कि परम तत्व की खोज असंभव है और इस प्रश्न पर और चिन्तन करना केवल मृगमरीचिका से साक्षात्कार करने के समान है। इससे पूर्व महात्मा बुद्ध ने इसे ज्ञानातीत की संज्ञा दी थी। मगर मनुष्य ने हार नहीं मानी और अपने स्तर पर अस्तित्व के गहन प्रश्नों से लगातार जूझ रहा है, इसके बावजूद कि आधुनिक युग ने तंत्रमंत्र, भूत प्रेत के अस्तित्व, ज्योतिषशास्त्र आदि के बारे में वैज्ञानिक स्तर पर अनेक प्रश्न चिह्न खड़े कर दिये, जो मूलरूप से अस्तित्व की समस्याओं से जुड़े प्रश्न ही हैं।
सच तो यह है कि सृष्टि के रहस्य तक पहुँचने की मनुष्य के भीतर एक आदिम जिज्ञासा है। तंत्र मंत्र पर आधारित कथाओं की लोकप्रियता का यही कारण है। इसका आभास मुझे तब हुआ जब मैं साप्ताहिक ‘गंगा यमुना का सम्पादन कर रहा था और उसमें सुशील कुमार की लेखमाला ‘एक तांत्रिक की डायरी’ का प्रकाशन आरम्भ हुआ था । यह लेखमाला इतनी अधिक लोकप्रिय हुई कि न केवल पाठकों के सैकड़ों पत्र प्राप्त हुए, बल्कि ‘गंगा यमुना’ के फोन दिन भर सुशील कुमार का अता-पता जानने के लिए खटकने लगे। ‘एक तांत्रिक की डायरी’ की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जब ‘गंगा यमुना’ में इस लेखमाला का प्रकाशन बाधित हुआ तो ‘गंगा यमुना’ ही बंद हो गया । यह लेखमाला रहस्य जगत् के उद्घाटन के कराण ही नहीं, अपनी प्रवाहमयी भाषा शैली के कारण भी पाठकों के मनोजगत् में प्रवेश करने में सफल रही। यह हर्ष का विषय है कि अब ये रहस्यमयी सत्य कथाएँ पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो रही हैं। हिन्दी में विविध विषयों पर जितनी अधिक पुस्तकें प्रकाशित होंगी, हिन्दी उतनी ही अधिक समृद्ध होगी। – रवीन्द्र कालिया

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लेखक सुशील कुमार के बारे में कुछ शब्द

जन्म : ७ नवम्बर १६५०
शिक्षा : एम० ए० ( राजनीति शास्त्र ) इलाहाबाद विश्वविद्यालय
किशोरावस्था से ही जीवन के, प्रकृति के रहस्यों को समझने की उत्सुकता / अन्तःप्रज्ञा से भविष्य की घटनाओं का पूर्वाभास / पराजगत की शक्तियों से अप्रत्यक्ष / प्रत्यक्ष संपर्क / देवाधिदेव महादेव शिवशंकर की कृपा से साधना-पथ पर अग्रसर / तंत्र के माध्यम से उपजी – भक्ति द्वारा मोक्ष की आकांक्षा ।
सम्पर्क : गंध मादन, १६३ ए, रसूलाबाद,
इलाहाबाद २११००४
फोन: ५४६४१०
साधना केन्द्र : १२०/१, रसूलाबाद, इलाहाबाद-२११००४

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