Soi Shestha Baal Kahaniya Hindi Story book for Children

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Soi Shestha Baal Kahaniya (सो श्रेष्ठ बाल कहानिया) Hindi Story book for Children pdf

Soi Shestha Baal Kahaniya hindi ebook
ebook name- Bal Kahaniya (सो श्रेष्ठ बाल कहानिया)
Edited by- Rohitashv Asthana
File type- pdf
PDF size- 12mb
Pages- 303
Quality- good, no watermark

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बाल साहित्य में कविता और कहानी, दो विधाओं का सबसे अधिक विकास हुआ। उपन्यात और नाटक इसके बाद ही हैं। बच्चे कहानियाँ अधिक पसन्द करते भी हैं। जीवन की कोई घटना, किसी की वीरता का वृत्त, किसी के जीवन का त्याग, दया और करुणा के मार्मिक अक्सर सहयोग के उज्ज्वल क्षण, बालकों की अपनी विभिन्न समस्याएँ, देश और समाज से उनके सम्बन्ध तथा देश प्रेम की भावना आदि इतने विष्य हैं कि बाल जीवन एक कथा सरित्सागर अपने आप बनता चला जाता है। प्रेमचन्द ने कहानियों की उपस्थितेि सर्वत्र बताई थी। यह तथ्य बाल कहानी सृजन के सम्बन्ध में भी सही है।
बाल कहानी आधुनिकता की सीमा पार कर अतीत की ओर भी उन्मुख होती है। उपनिषद् पुराण और इतिहास बाल कहानी के अच्छे संदर्भ त्रोत हैं। उन स्रोतों का दोहन हुआ भी है और अनेक अच्छी बाल कहानियाँ रची गई हैं।
बाल कहानी से जुड़े कुछ सवाल भी उठाये गये जैसे परी कहानी बनाम वैज्ञानिक कहानी और सामंती कहानी बनाम आधुनिक कहानी। परी कहानी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित है। ये कहानियाँ पूर्णत काल्पनिक (कपोल) कल्पना पर आधारित होती है। बालक की आरम्भिक अवस्था के लिए ये कहानियाँ उपयुक्त हो सकती हैं। पर जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसका यथार्थ कहानियों से ही सरोकर होना चाहिए और सामंतवाद समय के साथ समाप्त हो चुका है।
अब राजा-रानी का गुणगान करना बालक को कालातीत बनाना है। बालक को तो वर्तमान और भविष्य में अर्थात् इक्कीसवीं शताब्दी में जीना है। अत: यथार्थ वादी आधुनिक तथा वैज्ञानिक कहानी ही बालक के लिए उपयोग हो सकती हैं।
बात कहानियों को संकलित करने की परम्परा आठवें दशक से चल पड़ी थी। विशेष रूप से अन्तर्राष्ट्रीय बाल वर्ष के साथ। सन् 1979 में जनलोक प्रकाशन, मथुरा से कथालोक’ बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ था। ‘केशव प्रयास का बाल कथा अंक’ राजा की रजाई भी लगभग उसी समय प्रकाशित हुआ था। सन् 1979 मे ही “बच्चों की सौ कहानियाँ’ संग्रह प्रकाशित हुआ था, जिस का सम्पादन डॉ हरिकृष्ण देवसरे ने किया था और जो संकलन कार्य के लिए एक मानक था। इसी सग्रह ही भूमिका में बताया गया है कि हरि शंकर परशाई की मुन्नू की स्वतंत्रता’ (1949) हिन्दी की प्रथम आधुनिक बाल कहानी हो सकती है, क्योंकेि आधुनिक बाल चेतना का संस्पर्श इस कहानी में पहली बार देखने को मिला। इसी क्रम में डॉ. शोभ नाथ लाल के सम्पादन मे सन् 1991 में चौबीस बाल कहनियां संग्रह प्रकाशित हुआ जबकि सन् 1993 में दो बाल कहानी सग्रह प्रकाशित हुए शमशर अ० वान द्वारा सपादित बयालीस बाल कथाए और बालशौरि रड्डी द्वारा सपादित “श्रेष्ठ बाल कहानिया’ भारतीय भाषा परिषद (कलकत्ता) द्वारा प्रकाशित श्रेष्ठ वाल कहानियाँ’ में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ बाल कहानियों सकलित की गई हैं। यह अपने ढ़ग का पहला संग्रह है। जिसमें सभी भारतीय भाषाओं की प्रतिनिधि बात कहानियों एक स्थान पर आ गई है ! मनोहर वर्मा के संपादन में सन् 1995 में प्रतिनिधि बाल कहानियाँ’ संग्रह प्रकाशित हुआ। उस प्रकार इन संग्रहों के माध्यम् से बाल कहानियों का विशाल संकलन हो गया है। सभी सग्रहों की अपनी-अपनी दृष्टि हैं। यही कारण है कि जहां सभी संग्रहों में कुछ सामान्य लेखक है, वही हर संग्रह में कुछ नये लेखक भी हैं। चुनी हुई बाल कहानियों संग्रह में प्रत्येक रचनाकार की दो-दो बाल कहानियां ली गई है। इसमें कुछ रचनाकार पहली बार संकलित हुए हैं। इन रचनाकारों में कहानी सृजन की भरपूर सम्भावनाएँ हैं। संकलन की कहानियों में बाल मानसिकता की पकड है। प्रतिष्ठित रचनाकारों ने तो बाल कहानी को चरम बिन्दु तक पहुंचाया ही है, नये रचनाकारों ने भी थोड़े ही समय में अग्रेिम पंक्ति में स्थान बना लिया है। संकलित कहानियो का फलक अत्यन्त व्यापक है। इसमें कल्पना की ऊंची उड़ान भी है, पौराणिकता और ऐतिहासिकता की छाप भी है, साथ ही बाल जीवन के यथार्थ की गहरी पैठ भी है। कहानियों मे पर्यात वैविध्य है। हर कहानी का अपना रस है। कहीं एक रसता नहीं है। बाल पाठक विविध कोणों से रची गई इन कहानियों का भरपूर आनन्द प्राप्त करेंगे।
संकलन की कहानियाँ भाषा, शिल्प और कथ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है रचनाकारो ने बाल कहानियों की भाषा का एक सुनिश्चित रूप प्रदान किया है और हर कहानी शिल्पमत सौन्दर्य की नई दिशा खेलती है और कथ्य ही नदीनता तो कहानियों का विशिष्ट आकर्षण है ही।
बाल कहानियों का संकलन कार्य कितना महत्वपूर्ण हो चुका है, यह इस संकलन से ज्ञात होता है। संकलन बाल कहानी को एक दिशा भी प्रदान करता है और बाल पाठको को जीवन मूल्यों से परिचित भी कराता है। डॉ. रोहिताश्व अस्याना ने बड़े परिश्रम से यह संकलन कहानियों’ संग्रह का भी स्वागत करेगा।- डॉ. श्री प्रसाद
संपादक- डा. रोहिताश्व अस्थाना
Hindi Story book for Children pdf Soi Shestha Baal Kahaniya

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