Vigyan Bhatrav Tantra (विज्ञान भैरव तन्त्र) Rudryamal Tantra Ka Goor Rahasya (रुद्रयामल तन्त्र का गूढ़ रहस्य) Hindi ebook pdf
e-book name- Vigyan Bhatrav Tantra (विज्ञान भैरव तन्त्र)
Book Type- Hindi spiritual
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 102
Pdf size- 2Mb
Quality- HQ, without any watermark
शैवागम का दुर्लभ ग्रन्थ
विज्ञान भैरव तन्त्र
(भैरव-भैरवी सम्वाद)
रुद्रयामल तन्त्र का गूढ़ रहस्य
व्याख्याकार: श्री नन्दलाल दशोरा
विज्ञान भैरव तन्त्र (भैरव भैरवी सम्वाद)
◉ यह ग्रन्थ केवल किसी एक व्यक्ति के कथन पर आधारित नहीं है बल्कि एक ऐसा महासमुद्र है जो संसार की सभी नदियों और कूपों को जल प्रदान कर सकता है।
◉ यह किसी एक ग्रन्थ, मत या व्यक्ति को प्रमाण नहीं मानता बल्कि सत्य पर आधारित है, जहाँ भी सत्य प्रकट हुआ उसे स्वीकार करता है।
◉ यह पारस ग्रन्थ भारतीय अध्यात्म विद्या का एक ऐसा खजाना है कि इसमें से जितना भी निकालो तो भी कोई कमी नहीं आती।
◉ उस परमतत्त्व को समझने के लिए यह एक अनुपाय (स्वयं बोध) की प्रक्रिया है जिसमें किसी क्रिया की आवश्यकता नहीं है। केवल चित्त की एकाग्रता ही पर्याप्त है। इसी ज्ञान को इस ग्रन्थ में भैरव भैरवी सम्वाद के रूप में दिखलाया गया है।
◉ उस चैतन्यतत्त्व को जानने की एक ही विधि है— इस चंचल मन को स्थिर करना। मन के स्थिर होते ही साधक को अपने आत्मस्वरूप का अनुभव हो जाता है।
◉ सहज समाधि या अनुपाय प्रक्रिया का संक्षिप्त अर्थ यह है कि मन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों पर बिना जोर जबरदस्ती के सहजरूप में नियन्त्रण |
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> Vigyan Bhairav Tantra (विज्ञान भैरव तंत्र) by Osho
भारत में ऐसे कई दार्शनिक व विद्वान हुए है जिन्होंने अपनी मेधा, अन्तरदृष्टि और स्वयं प्रसूत ज्ञान द्वारा आत्मज्ञान (स्वयं बोध) की ओर ले जाने वाले ग्रन्थों को समझाने का प्रयास किया है। अपने विचारों और उदाहरणों से उन्होंने जो जीवनसूत्र दिये हैं वह निश्चित ही मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करने वाले हो सकते हैं।
इसी क्रम में भारतीय वाङ्गमय के अनेक ग्रन्थों की सरल व्याख्या करके सहजभाव से समाज सेवा का कार्य श्री नन्दलाल दशोरा ने भी किया जिससे वह अध्यात्म जगत् के मीमांसा स्तम्भ बन चुके हैं। इनकी वेदान्त की व्याख्या हृदयंगम होती प्रतीत होती है। इनकी किसी भी रचना से आप पढ़ना आरम्भ करें वह मनन चिन्तन की उस धारा से जोड़ देने की अद्भुत क्षमता रखते हैं कि आप स्वयं ही उच्च जीवनशैली की ओर चलने लगेंगे। उन विचारों में झाँकती जीवन की सुन्दरता ही आपको मानसिक शान्ति व आत्मिक आनन्द प्रदान करती रहेगी।
आप नन्दलाल दशोरा के अन्य ग्रन्थ भी पढ़ें और अन्य लोगों को पढ़ने की प्रेरणा देंगे तो यह भी अध्यात्म जगत् की अतुलनीय सेवा होगी। -प्रकाशक
[आत्मज्ञान के इस ग्रन्थ को लगभग पाँच हजार वर्ष पुराना माना गया है।]
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