Vinay Pitak (विनय पिटक) by Rahul Sankrityayan, Hindi ebook pdf
Translator- Rahul Sankrityayan (राहुल सांकृत्यायन)
Book Type- हिंदी पुस्तक
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 620
Size- 29Mb
Quality- Good Quality, without any watermark

विनय-पिटक
[१-भिक्खु-पातिमोक्ख, २-भिक्खुनी-पातिमोक्ख, ३-महावग्ग, ४-चुल्लवग्ग]
अनुवादक- राहुल सांकृत्यायन
बद्धके उपदेशोको तीन पिट को मे बँटा कहा जाता है। यथार्थमे मा त्रि का ओ को छोळ शेष अभिधर्मपिटक पीछेका है, और इस प्रकार बुद्धके कथित उपदेशो और नियमोके लिये हमे सुत्त और विनय पिटकोकी ओर ही देखना पळेगा। चुल्लवग्गके पचशति का स्कधक (पृष्ठ ५४८)मे पाठक सिर्फ धर्म (=सुत्त) और वि न य के ही सगायनकी बात पायेगे। सुत्त पिटक के ग्रथोके बारेमे मैने धम्म पद के अनुवादके समय कुछ कहा है। यहाँ विनय-पिटकके बारेमे कुछ विशेप परिचय देना अनावश्यक न होगा।
विनय (-Discipline) कहते है नियमको। चूंकि इस पिटकमे भिक्ष-भिक्षणियोके आचार-सबधी नियम तथा उनके इतिहास और व्याख्याओको जमा किया गया है, इसलिये इसका नाम विनयपिटक यथार्थ ही है।
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