ओशो ( रजनीश) का अधुनातम् शिक्षा दर्शन -रामयश हिंदी पुस्तक पीडीएफ

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Osho Rajneesh Ka Adhunatam Shiksha Darshan [ओशो ( रजनीश) का अधुनातम् शिक्षा दर्शन] by Ramyash Hindi Book pdf
e-book name- Osho Rajneesh Ka Adhunatam Shiksha Darshan [ओशो ( रजनीश) का अधुनातम् शिक्षा दर्शन]
Author- Ramyash (रामयश)
Book Type- Hindi Article
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 221
Pdf size- 12Mb
Quality- Good, without any watermark

ओशो ( रजनीश) का अधुनातम् शिक्षा दर्शन pdf

प्राक्कथन:
आज हमारा देश, हमारा समाज अन्धकार के गर्त में धंसता चला जा रहा है। इसका कारण हमारी शिक्षा की वर्तमान रूपरेखा तथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली हैं। हम लोगों को वकील, डाक्टर, शिक्षक तो बना रहे हैं किन्तु यह सब धन कमाने की कलायें हैं। इससे हमारे समाज का चारित्रिक, सामाजिक विकास सम्भव नहीं है जिसके फलस्वरूप भारत आज विनाश की ओर बड़ी तीव्र गति से बढ़ रहा है। संसार में ज्ञान की सर्वप्रथम ज्योति भारत में प्रचलित हुई, भारत को जगत गुरु की पदवी से विभूषित किया गया। फिर भी आज क्या कारण है कि हम शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में, टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में अन्य देशों से पिछड़े हुए हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था को विदेशी आक्रमणों का जो आघात सहना पड़ा है यदि किसी और देश को यह आघात सहने पड़े होते तो वह समूल नष्ट हो जाता, किन्तु हमारी शिक्षा विकसित नहीं हुई तो खत्म भी नहीं हुई। हमारी शिक्षा में विदेशी आक्रमणकारियों का प्रभाव जरूर पड़ा जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय जनमानस विनाश के कगार पर खड़ा हुआ
है।
यदि हम विनाश को रोकना चाहते हैं तो हमें राष्ट्रीय चरित्र और देश के प्रति भक्ति की भावना से ओत-प्रोत पाठ्यक्रम को शिक्षा में पिरोना पड़ेगा। वर्तमान समय में शिक्षा में अमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता महसूस हो रही है। ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जिसमें बंधे बंधाये उत्तर न मिलते हों, प्रश्न शिक्षक द्वारा दिया जाये और उनके उत्तर छात्र स्वयं खोजकर के लाये तो वह उत्तर उसके मस्तिष्क से निकला हुआ सही उत्तर होगा। इसी तरह व्यायाम शिक्षा, खेलकूद की शिक्षा बालक के जीवन में परमावश्यक विषय है । क्योकि अगर वह इस प्रकार के मनोरंजक कार्यों में अपनी ऊर्जा का बर्हिगमन नहीं करेगा तो बड़ा होकर वह बसें जलायेगा, कालेज और स्कूलों में कुर्सियां तोड़ेगा और यहाँ तक कि उसके अन्दर से अगर यह ऊर्जा बाहर नहीं निकली तो फिर वह किसी की गर्दन तोड़ने का कार्य करेगा ।

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शोधार्थी ने शिक्षा के वर्तमान स्वरूप को देखते हुए ही “ओशो ( रजनीश) का अधुनातम् शिक्षा दर्शन” विषय पर शोध करने का विचार किया जिससे शिक्षा के क्षेत्र में ओशो के योगदान तथा उनके दर्शन का अध्ययन कर शिक्षा के स्वरूप को ऐसा बनाया जाय जिससे देश, समाज और व्यक्ति का चारित्रिक, सामाजिक तथा मानसिक विकास हो सके।

वर्तमान समय में जितनी अशान्ति, पीड़ा तथा घृणा समाज में फैली हुई है इतनी पिछली किसी सदी में नहीं थी । अतः शोधार्थी का विश्वास है कि ओशो (रजनीश) जैसे महान पथ प्रदर्शक ने शिक्षा के सम्बन्ध में अपने जो विचार व्यक्त किये हैं वे समाज को ऐसा नागरिक देने में सक्षम हैं जो देश के विकास के लिये प्रतिबद्ध हों तथा समाज को ऐसी शिक्षा व्यवस्था दे सकें जिससे समाज का चारित्रिक मानसिक तथा धार्मिक विकास हो ।
मेरे इस शोधकार्य में जिनका निर्देशन मुझे प्राप्त हुआ है, डॉ० जे. एल. वर्मा, प्रवक्ता – बी.एड. विभाग, बुन्देलखण्ड कालेज, झाँसी का मैं हृदय से आभारी हूँ तथा अन्य सहयोगियों में डॉ० बाबूलाल तिवारी, प्रवक्ता – शिक्षा शास्त्र विभाग, बुन्देलखण्ड कालेज, झाँसी जिन्होंने मेरे इस शोधकार्य में मार्गनिर्देशक का कार्य किया है का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ तथा अन्य सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ।
शोधकर्ता
रामयश
एल.एल.बी., एम.एड.

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