Balidan (बलिदान) by Durgaprasad Khatri । Hindi Novel pdf

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Balidan (बलिदान) by Durgaprasad Khatri । Hindi Novel pdf
Writer- Durgaprasad Khatri (दुर्गा प्रसाद खत्री)
Book Type- हिंदी उपन्यास
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 130
Size- 4mb
Quality- best, without any watermark

Balidan (बलिदान) by Durgaprasad Khatri pdf

उपन्यास की शुरुआत कुछ इस तरह से है-
यह श्राज की नही बहुत पुरानी बात है फिर भी मुझे इस तरह याद है मानो इस घटना को हुए थोड़े ही दिन बीते हो ।
श्राज मै वृद्ध हूँ पर उस समय युवा था, आज बडी बड़ी मोछो ने मेरे होठो को ढंक रक्खा है पर उस सनय मसे भीन रही थीं, आज गृहस्थी और दर्जनो बच्चो के जञ्जाल मे पडा हुया हूँ, उस समय यद्यपि झंझटों से खाली तो नही फिर भी स्वतन्त्र था, जमाने को एक खेल की तरह देखता था, गुजरे की याद न रहती थी और श्राने वाले की परवाह न थी । उस समय मैं डाक्टरी पास कर के नया नया निकला था और इसीलिए अपने आगे किसी को कुछ समझता ही न या ।
उसी जमाने का यह किस्सा है।
किसी काम से मुझे मोदपूर जाना पड़ा था। मोदपूर पूरब में एक गाव है, गाव क्या उसे छोटा मोटा कसबा ही कहना चाहिये
कयोकि वहा चार हजार से ऊपर की आबादी है और कई ऊँचे दर्जे के व्यापारी बनिये बजाज और छोटे मोटे महाजनो की बदौलत वहाँ काफी रौनक और अमन चमन रहता है। गाव में यो तो प्रायः फूस और खपरैल के ही मकान भरे हैं मगर कितने ही पक और अधकचरे मकान भी अपना सिर उठाये हुए हैं जो उन्हीं सौदागरो बनियो और महाजनो की जायदाद हैं। गाव में साधारण से अधिक सफाई है क्योकि यहा के नौजवान जमींदार राय सीताराम पढ़े लिखे होने के साथ साथ सफाई की कीमत समझते हैं और उसके लिए खर्च और मेहनत करने को तैयार रहते हैं। मेरे एक रिश्तेदार इन्ही के यहा नोकर थे जिनके सबब से मुझे भी कभी कभी यहा थाना पडता था तथा इसी सबब से राय सीताराम से भी यद्यपि दोस्ती तो नही लेकिन जान पहिचान हो गई थी। इसी मोदपूर में मैने बह घटना देखी जिसने मेरे पानी ऐसे दिल पर भी लकीर खीच दी थी और जिसका हाल श्राज मै कहने जा रहा हूँ।….

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