Begam Meri Bishwas by Bimal Mitra Hindi ebook pdf

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Begam Meri Bishwas (बेगम मेरी विश्वास) by Bimal Mitra Hindi ebook pdf

Begam Meri Bishwas by Bimal Mitra ebook
e-book novel- Begam Meri Bishwas (बेगम मेरी विश्वास) part- 2
Author- Bimal Mitra
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 448
Size- 33mb
Quality- nice, without any watermark

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कर्नल मलेसन ने अपनी पुस्तक मे लिखा हे- The story of the rise and progress of the British power in India possesses peculiar fascination to all classes of readers. It is a romance sparking with incidents of the most varied character. मेरी यह धारणा है कि इस एक विषय को लेकर जितने ग्रंथ देश-विदेशों में लिखे गये हैं उतने अन्य किसी विषय पर नहीं लिखे गये। गुलाम हुसैन की सिपार-उलभुतावरीन से लेकर सर जॉर्ज फॉरेस्ट तक और सर जॉर्ज फॉरेस्ट से लेकर सन् १३६३ में छपी माइकेल एडवर्ड की लिखी पुस्तक ‘बैटल ऑफ प्लासी’ तक की लम्बी तालिका यह बहुश्रुत और बहुपठित कहनी ही इतने दिनों से मेरा पीछा क्यों करती रही है, इसकी कोई ठीक-ठीक वजह मैं नहीं बतला सकता। और सिर्फ पीछा ही नहींबार-बार इस कहानी को की कोशिश की, बार-बार इसे अपने मन से मिटा देने की कोशिश की लेकिन वैसा न कर सका। सन् १९५६ से १९६६, कितने साल हुए ? दस साल ! इन्हीं दस सालों के बीच एक पत्रिका में ‘सखी-संवाद’ के नाम से इस कहानी को लिखना प्रारम्भ किया था। एक साल तक प्रकाशन होने के बाद बीच में ही लिखना बंद कर सोचा था, छुटकारा मिल जायेगा। लेकिन फिर भी उसने मुझे छोड़ा नहीं। आज इतने दिनों बाद दुबारा शुरू से लिखकर जैसे मुझे छुटकारा मिला। अब जाकर मैं निश्चित हो पाया हैं। इस कथा के प्रति मैं एक कारण से विशेष कृतज्ञ हैं। वह यह है, कि इस कथा के साथ दो सौ साल पहले के कुछ लोगों से मेरा परिचय हो गया। बड़ा ही घनिष्ठ परिचय । इस घनिष्ठता की वजह से मुझे यह जानने का मौका मिला कि इन दो सौ सालों में जो भी रद्दोबदल हुए, वह बाहरी थे । वास्तव में मानव वही मानव है। देखा कि हार और जीत सिर्फ कहने की बात है ! जो जीतता है वह जीतता नहीं, जो हारता है वह भी वास्तव में हारता नहीं। इतिहास की हार-जीत की संज्ञा उपन्यास की हारजीत की संज्ञा से अलग है। देखा, उपन्यास ही सत्य है इतिहास मिथ्या है। ऐतिहासिकों में मतभेद है। लेकिन औपन्यासिक निरंकुश, निविरोध और निविकार हैं। एकमात्र उपन्यास ही इतिहास के मर्म केन्द्र तक पहुँचकर अपने को प्रतिष्ठित ‘कर पाता है। विदिश पार्लियामेंट ने सॉर्ड क्लाइव को जालसाज कहकर उसका घोर अपमान किया था। भारतवासियों ने भी जालसाज कहकर उसे नीचा दिखलाना चाहा। क्लाइव को मुजरिम के कटघरे में खड़ा कर और उसे कड़ी सजा देकर ब्रिटिश पालियामेंट ने इतिहासकारों की नजरों में निष्कलंक बने रहना चाहा। लेकिन चोरी का माल हजम करने में उसे कोई हिचक नहीं हुई। क्लाइव का जो होना है ही, भारतवासियों का जो होना है हो, लेकिन इतिहास निष्कलंक बना रहे।
लेकिन दुथ ? सत्य ?
सहल सम्मतियों के आधार पर जो ग्रंथ लिखा जाता है, उसी का एक और नाम है इतिहास। इतिहासकार के उपादान वे सारे पुराने रेकॉर्ड हैं, जो हमेशा सत्यभाषण नहीं करते। जिस तरह रूस के जार के जमाने में लिखा इतिहास स्टालिन के जमाने में रद्द हो जाता है, उसी तरह स्टालिन के जमाने का इतिहास खचेव के जमाने में झूठा साबित कर दिय, जाता है। लेकिन इतिहासकार के लिए इन उपादानों का मूल्य जो भी रहे, उपन्यासकार के लिए उनका मूल्य कानी कौड़ी होता है। एकमात्र सत्य के संधान में उपन्यासकार की सार्थकता है। इसीलिए ‘बेगम मेरी विश्वास’ इतिहास पर आधारित तो है ही लेकिन उससे भी अधिक सत्य पर आधारित है।.. बिमल मित्र
Hindi ebook pdf Begam Meri Bishwas (बेगम मेरी विश्वास)

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