Bharat Ka Mukti-Sangram by Ayoddha Singha, Hindi ebook pdf

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Bharat Ka Mukti-Sangram (भारत का मुक्ति-संग्राम) by Ayoddha Singha, Hindi ebook pdf
Book name- ‘Bharat Ka Mukti-Sangram (भारत का मुक्ति-संग्राम)’
Author- Ayoddha Singha (अयोध्या सिंह)
Book Type- Hindi Historical eBook
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 473
Size- 33 Mb
Quality- good, without any watermark

Bharat Ka Mukti-Sangram by Ayoddha Singha pdf

पन्द्रहवीं सदी के अन्त में समुद्र के रास्ते हिन्दुस्तान से सीधा सम्बन्ध स्थापित करने के लिए पुर्तगाल, स्पेन और ब्रिटेन जोरों से चेष्टा करने लगे। पुर्तगाल का वास्को द गामा अफ्रीका का चक्कर काटकर १७ मई १४९८ ई० को कालीकट आ पहुँचा। इब्न माजीद ने पूर्वी अफ्रीका के मालिन्दी से लेकर कालीकट तक का रास्ता उसे दिखाया, वरना उसे वापस पुर्तगाल जाना पड़ता। १५०० ई० में पुर्तगालियों ने कालीकट में अपनी फैक्टरी बनायी। हिन्दुस्तान में यूरोप के पूंजीवादियों का प्रवेश यहीं से आरंभ होता है।
ये पुर्तगाली पूंजीवादी सिर्फ व्यापार ही नहीं, लूटपाट भी करते थे। उन्हें सब से पहले टक्कर अरब व्यापारियों से लेनी पड़ी। उस समय हिन्दुस्तान का यूरोप के साथ व्यापार इन्हीं अरब व्यापारियों के हाथ में था। मिस्र और गुजरात के सुल्तानों ने मिलकर अरव व्यापारियों की मदद की और पुर्तगाली लुटेरों को हिन्द महासागर से निकाल बाहर करना चाहा। उन्होंने १५०७ में पुर्तगालियों के बेड़े को डुबा दिया, पर १५०९ में गुजरात के तट के पास दीव (डिउ) की लड़ाई में अलमीदा और अलबुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने मिस्री-गुजराती बड़े को जलाकर लूट लिया। इसके बाद जहाँ-तहाँ अरबों के जहाजों को नष्ट कर उन्होंने हिन्द महासागर पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया।
नवम्बर १५१० में पुर्तगालियों ने बीजापुर के सुल्तान से गोवा छीन लिया। _ उसे उन्होंने अपने सामुद्रिक साम्राज्य की राजधानी बनाया। यह हिन्दुस्तान में यूरोपियनों का पहला उपनिवेश था।
एक सौ वर्ष तक पुर्तगालियों को यूरोप के किसी दूसरे पूंजीवादी का मुकाबिला करना नहीं पड़ा। १६०० में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, १६०२ में डच ईस्ट इंडिया कम्पनी और १६६४ में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी बनी। पुर्तगाली पूंजीवादियों की तरह हिन्दुस्तान को लूटने के लिए अंगरेज, डच और फ्रांसीसी पूंजीवादी इस देश की जमीन पर आ डटे। इसके बाद हिन्दुस्तान पर अपना प्रभुत्व और यहां के व्यापार पर अपना एकाधिकार कायम करने के लिए इन चारों यूरोपीय पूंजीवादियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ। इस संघर्ष में अंगरेज ज्यादा शक्तिशाली सिद्ध हुए। उनके सामने पुर्तगाली, डच और फ्रांसीसी टिक न सके।…..

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भारत का मुक्ति-संग्राम, अयोध्या सिंह द्वारा लिखित: यह ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में एक मूल्यवान दस्तावेज है। यह पुस्तक सभी के लिए अवश्य पढ़ी जानी चाहिए।

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