Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) All Parts Hindi ebook pdf

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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) All Parts Hindi ebook pdf files

Bharat-Ke-Mahan-Sadhak

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e-book novel- Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) all parts
Author- Pramoth Nath Bhattachariya
File Format- PDF
Language- Hindi translation
Quality- best, without any watermark

मानव इतिहास के प्रारंभिक दिनों से ही महषि याज्ञवल्क्य के रूप में एक दिव्य आध्यात्मिक ज्योति रहस्यमय एवं अद्भुत रुप से विश्व-कल्याण के लिए सतत क्रियाशील रही है। मानव जाति की महानिशा की वेला में इस ज्योति ने बार-बार प्रकट होकर उसका दिशा निर्देश कर उसे नवजीवन प्रदान किया है। वैदिक युग में इसने आर्यों को नयी समाज व्यवस्था तथा आध्यात्मिक पथ दिया । त्रेता में इस महान शक्ति ने अन्य ऋषियों के साथ अग्रणी हो रामावतार का कार्य पूरा किया,तत्पश्चात द्वापर में प्रच्छन्न रुप से कार्य करते हुए कृष्ण द्वारा संचालित महान उथल-पुथल का भी परिचालन किया । | महाभारत युद्ध के छः हजार वर्ष बाद पुनः मानव जाति स्वरचित विकृतियों के जाल में उलझ कर विकल हो रही है । भोग-विलास की आपाधापी में व्यस्त असहाय मानव वंश अपने सर्वनाश की ओर निरन्तर अग्रसर होता जा रहा है। परन्तु मानव वंश के सम्पूर्ण संहार का समय अभी नहीं आया है, इसलिए इसकी रक्षा की जा सकती है। इस महा विनाश की काली छाया की पृष्ठभूमि में समग्र सृष्टि के कल्याण के लिए वही महर्षि याज्ञवल्क्य, जिनके बारे में कहा जाता है कि यज्ञ ही उनका वल्कल है, पुनः सृष्टि के उद्धार के यज्ञ में सन्नद्ध हैं। अग्नि पुराण के १६ वें अध्याय में बुद्धावतार कथानम् में उनका उल्लेख आया है जिसमें कहा गया है-“कल्कि विष्णु यशः पुत्रः याज्ञवल्क्य पुरोहितः” ।।
मानव इतिहास के इस संक्रमण काल में यह महान प्रकाश श्री कालीपद गुहाराय के स्वरुप में भासित हुआ—जिन्हें हम स्नेहबश दादा कहा करते थे ।
उन्हीं दादा के संस्मरणात्मक लेखों को इस ग्रंथ में संग्रहीत किया गया है। आने-वाला इतिहास युग-परिवर्तन कारी उनके नवीन
आविर्भाव की चर्चा करेगा। उनके संस्मरणों को आज स्वयं मैं लिखने में असमर्थ हैं । आश्विन शुक्ल षष्ठी (१९ अक्तूबर १९६६)
को मेरे बाह बन्ध में वे अपने प्राणों का विसर्जन कर मुझे प्रेम के नये बंधन में डाले गये। हम सब जा रहे हैं; युग को कह जाना चाहते हैं कि तुम्हारे । इशारों पर नाचकर, हम तुम्हें पथ भ्रष्ट करने का महापाप नहीं करेंगे। काल के प्रवाह में, कालदण्ड से प्रताड़ित हो, युग को, रवीन्द्रनाथ रमण महर्षि और गाँधी की बातें याद आयेंगी। आज ऐसे महापुरुष की जरुरत है जिसमें प्रेम और ज्ञान के साथ, शक्ति का महादण्ड भी हो, माँ की तरह, मानव-जाति को अपनी करुणामयी गोद में लेकर, कठोर हो उसका ऑपरेशन करा सके–

जौं शिशु तन व्रण होई गोसाई
मातु चिराव कठिन की नाई।

ऐसे युगपुरुष के आने का समय आ गया है, जिसके हृदय में । अनन्त  प्रेम होगा, अन्तर में पूर्ण ज्ञान होगा और बाहुओं में दुर्धर्ष वल होगा।जिज्ञासुओं को यह ग्रंथ अध्यात्म शिखर पर आरोहण की प्रेरणा दे इस कामना के साथ- रामनन्दन

Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 1
Pages-298
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 2
Pages- 307
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 3
Pages- 313
Collect the above PDF part- 3

Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 4
Pages- 319
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part-5
Pages-225
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 6
Pages- 204
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 7
Pages-267
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 8
Pages- 256
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 9
Pages- 230
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Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 10
Pages- 266
Collect the above PDF part- 10

Bharat Ke Mahan Sadhak (भारत के महान साधक) part- 11
Pages- 274
Collect the above PDF part- 11

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