Bhikhari Se Bhagwanu Translated by Dr. Bachundan Sing ebook

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Bhikhari Se Bhagwanu (भिखारी से भगवानु) Translated by Dr. Bachundan Sing

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e-book name- Bhikhari Se Bhagwanu (भिखारी से भगवानु)
Translated by – Dr. Bachundan Sing
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 194
Size- 5mb
Quality- good, no watermark

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अशांति, दु:ख और चिंता जीवन की छाया हैं । सारे संसार में पेसा कोई हृदय नहीं, जिसे दु:ख-दंफ का अनुभव न करना पढ़ा हो; ऐसा फोई मन नहीं, जिसे फट के कृष्ण सागर में गोता न लगाना पड़ा हो; ऐसा कोई नेत्र नहीं, जिसको अवर्णनीय मन:संताप के कारण संज्ञाहीन करनेवाली उच्ण अक्षु-धारा न यहानी पड़ी हो, ऐसा कोई कुटुंच नहीं, जिसमें प्रयल विनाशकारी रोग नया सृश्यु का प्रवेश न हुआ हो-हृदय को हृदय से पृथक् न होना पद्मा हो, और सयके ऊपर दु:ख के काले यादल न घिर आप हों । चुराइयों के प्रौढ़ तथा देखने में अचय फंदों में सभी न्यूनाधिक जकड़े हुए पढ़े हैं। मनुष्य दु:ख, अप्रसन्नता तथा अभाग्य से प्रतियण घिरा रहता है।
आच्छन्नकारी औधकार से यचने तथा किसी प्रकार उसको घटाने के अभिप्राय से नर-नारो अंधे होकर असंयय उपायों और मागों की शरण लेते हैं, परंतु इस प्रकार उनकी अर्नत सुख-प्रासि की आशा व्यर्थ है। इंवियों की उत्तेजना में सुख का अनुभव करनेवाले शरावी और वेश्यागामी ऐसे ही होते हैं। वह प्रकांत-निवासी रागी भी ऐसा ही होता है, जो एक ओर तो अपने को दुखों से दूर रखना चाहता ” है, और दूसरी ओर क्षणिक शांतिदायिनी तथा सुखदायिनी साममियों से अपने को परिवेटित करता जाता है ।
The book translated into Hindi from the book ‘From Poverty To Power’

Hindi ebook pdf of Bhikhari Se Bhagwanu

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