Bund Aur samudra (बूंद और समुद्र) by Amritlal Nagar Hindi Novel pdf
e-book novel- Bund Aur samudra (बूंद और समुद्र)
Author- Amritlal Nagar
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 380
Size- 21mb
Quality- nice, without any watermark
‘बूंद और समुद्र’ के प्रथम सस्करण की भूमिका मे इसके यशस्वी लेखक, हिन्दी के अनन्य उपन्यासकार श्री अमृतलाल नागर ने लिखा
‘इस उपन्यास मे मैने अपना और आपका-अपने देश के मध्यवर्गीय नागरिकसमाज का गुण-दोष भरा चित्र ज्यो-का-त्यो अॉकने का यथामति, यथासाध्य प्रयत्न किया है, अपने और आपके चरित्रो से ही इन पात्रो को गढा है। इस सत्य को स्वीकार करते हुए यह कहना भी अत्यावश्यक प्रतीत होता है कि पात्र या पात्री के रूप मे किसी एक विशेष, अविशेष व्यक्ति का ज्यो-का-त्यो चित्रण मैंने कही नही किया है। किसी के प्रति असम्मान की तनिक-सी भी भावना इसमे नही है। इसमे आयी छोटे पात्रो की कहानियाँ भी मेरे वर्षों के प्रयत्न से, जाने कहाँ-कहाँ से बटुर कर जमा हुई है, किसी एक नगर या मुहल्ले की नही है।
उपन्यास के क्षेत्र के रूप मे मैने लखनऊ और उसमे भी खास तौर पर चौक की ही उठाया है। यह इसलिए किया कि नागरिक-सभ्यता की परम्परा देखने मे, बोलीबानी का रग घोलने मे मुझे सबसे अधिक सुभीता यही हो सकता था। जिन गलियो मे मेरे उपन्यास की घटनायें घटी है, वे गलियाँ हूबहू लगने पर भी लखनऊ के वास्तविक चौक मे आपको ढूंढे नही मिलेगी। एक तरफ जहाँ शहर का असलीपन दरसाने के लिए मैने यहाँ के अनेक नये-पुराने नागरिको, अखबारो, सस्थाओ और स्थलो के वर्णन किये है, यही नही बल्कि कथा-क्षेत्र के काल मे नगर मे होने वाली बहुत-सी घटनाओ का भी जिक्र किया है, वही सारा चित्रण कहानी से गुंथकर बेलौस भी रक्खा है।”
और, इसके दूसरे सस्करण के समय नागर जी ने लिखा ‘पाठको ने उपन्यास को सराहा, दूसरा सस्करण छपने का सुदिन आया। इससे मेरी आस्था और भी बलवती हुई है। इस पुस्तक के रूसी अनुवाद का पहला सस्करण भी एक वर्ष के भीतर ही चुक गया। स्वदेशी और विदेशी विद्वान् आलोचको के विचारो से मैने इस उपन्यास मे अपनी शक्ति और कमजोरियो को पहचाना है, पाठको के पत्रो से भी बहुत कुछ सीखा है, कृतज्ञ हूँ। इस सस्करण मे मैने थोड-बहुत सशोधन अवश्य किये है, परन्तु मूल ढांचे पर कही अॉच नही आने दी।” और नागर जी की ही बात को आगे बढाते हुए हम निवेदन करना चाहते है कि हमारे विशेष आग्रह पर स्वय उन्होने इसे काट-छाँट कर इसका सक्षिप्त सस्करण तैयार किया, और फिर ‘मूल ढाँचे पर कही अॉच नही आने दी’। इस प्रकार यह अद्भुत उपन्यास सामान्य पाठको और विश्वविद्यालय के छात्रो के लिए भी सहज हो गया है। आशा है, अब वे भी इसका अवगाहन करेंगे और भरपूर रस लेगे। -प्रकाशक
Hindi Novel ebook pdf Bund Aur samudra