Lahare Aur Kagar (लहरें और कगार) by Bachchan Sing free Hindi ebook pdf
e-book name- Lahare Aur Kagar (लहरें और कगार)
Author- Bachchan Sing
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 98
Size- 4mb
Quality- not bad, without any watermark
आज के बदले हुए जमाने में नए और पुराने सामाजिक मूल्यों और संस्कारों में जो संघर्ष हो रहा है उसे प्रस्तुत लघु उपन्यास में व्यक्त करने का प्रयास हे।
कहानी-
संध्या के छुटपुटे में नाव नदी के किनारे छप से लगी और पुर्वा हवा से उठी हुई लहरें नाव से टकरा गई। महेन्द्र नाव से कूद कर किनारे आ गया। उसने दूर तक फैले हुए सूनेपन को देखा जो आपस में लड़ती हुई लहरों के शोर और पास में ही खड़े पीपल के पते की खड़खड़ाहट से भयावह हो उठा था। इसी बीच नदी में ऊदबिलाव कूदा और धप की आवाज हुई, फिर उस पार के एक कगार के गिरने से जो भीषण धमाका हुआ उससे वातावरण कुछ देर तक गूँजता रहा । महेन्द्र ने संध्या के अंधकार में डूबते हुए नदी के वर्तुल किनारे की देखा, वह नदी की लहरों से खेल रहा था, उसे रोमांच हो आया । क्षितिज पर कजरारे बादल झुक आए थे और बरसात होने की पूरी आशंका थी । महेन्द्र ने जल्दी से टार्च निकाला और चढ़ाव पार करने लगा । चढ़ाव पार करने पर एक गहरा नाला था । उसमें से होकर जानेवाला रास्ता पानी के बहाव से जगह जगह कटकर ऊबड़-खाबड़ हो गया था । टार्च की सफेद रोशनी में महेन्द्र उसे लाँघता हुआ सामने की अमराई में पहुँच गया। अमराई के कुजों में अंधकार और भी घनीभूत हो गया था।
आगे परने के लिए पुस्तक को प्ड्फ के रूप मे डाउनलोड करे
Free Hindi ebook pdf Lahare Aur Kagar (लहरें और कगार)