Chhotrasal (छत्रसाल)- Balchand Nanchand Shaha pdf

Advertisement

Chhotrasal (छत्रसाल) by Balchand Nanchand Shaha pdf
Writer- Balchand Nanchand Shaha (बालचंद नैनचंद शाहा)
Translated by- Ramchandra Barma (रामचन्द्र वम्मों)
Book Type- अनुवादित पुस्तक
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 307
Size- 10mb
Quality- best, without any watermark

Chhotrasal (छत्रसाल) by Balchand Nanchand Shaha pdf

अनुवादक का निवेदन-

आधुनिक हिन्दी-साहित्यमें प्राय उपन्यासोंकी ही भरमार है, और उन उपन्यासोंका भी अधिकाश बंगलासे ही अनुवादित है । यद्यपि भारतकी अन्यान्य देशी भाषाभोमें भी बहुतसे अच्छे उपन्यास और दूसरे ग्रन्थ हैं पर न जाने क्यों हिन्दीके लेखक उनसे बहुत ही कम काम लेते हैं। हिन्दी-सेवियोंको इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
मराठी भाषा बहुत ही उन्नत ओर पुष्ट है । उसके सेवियोंमें केवल अनुवादक ही नहीं बल्कि बहुतसे लेखक भी हैं। श्रीयुक्त बालचन्द नानचन्द शहा वकील भी उन्हीमेंसे एक नये, पर होनहार लेखक है। आपने ‘सम्राट-अशोक’ नामक एक बहुत अच्छा उपन्यास लिखा है । आपकी रचना-चातुरीसे प्रसन्न होकर सुप्रसिद्ध देशभक्त श्रीयुक्त दादासाहब खापर्डेने सम्मति दी है कि पाप मराठी भाषाके सर वाल्टर स्काट होंगे। प्रस्तुत पुस्तक आपके ही लिखे हुए छत्रसाल नामक उपन्यासका अनुवाद है। पुस्तककी उपयोगिता आदि सिद्ध करनेके लिए केवल इतना ही वतला देना यथेष्ठ है कि ‘केसरी’ और ‘इन्दुप्रकाश’ आदि अच्छे अच्छे पत्रोंने उसकी बहुत अच्छी आलोचना और श्रीयुत शिवराम महादेव पगजपे तथा श्रीयुक्त दादासाहव खापर्डेने बहुत प्रशसा की है।
औरंगजेवके राजकालमें बुन्देलखण्डको मोगलोंके अधिकारसे निकालकर स्वतत्र करनेके लिए महेबाके राजा (बल्कि जागीरदार ) चम्पतराय और उनके पुत्र छत्रसालको जितना परिश्रम और जैसी कठिनाइयाँका सामना करना पड़ा था, उनका इस पुस्तकमें बहुत ही उत्तम वर्णन है। सभी युगों,और देशोंमें देशसेवी भी होते हैं और देशद्रोही भी और इस पुस्तकमें दोनों प्रकारके लोगोंके कार्य आदि दिखलाये गये है। इस पुस्तकसे सबसे बडी शिक्षा इसी धातकी मिलती है कि जो कार्य-विशेषत देशसेवाका कार्य सच्चे हृदयसे, परोपकारके विचारसे
और दृढतापूर्वक किया जाता है वह अन्तमें अवश्य पूरा हो जाता है । इस उपन्यासके नायक छत्रसाल बहुत बड़े वीर, प्रतापी, और देश-हितैषी थे, इस लिए देशसे कुछ भी प्रेम रखनेवाले मनुष्यके लिए यह उपन्यास बड़े ही महत्त्वका
और अवश्य पठनीय है। इसके पडनेसे हृदयमे स्वाभिमानकी जागृति होगी, इसमे कोई सन्देह नहीं । सुन्दर चरित्राङ्कन और मनोहर स्थल-वर्णन इस उपन्यासरूपी स्वर्णमें मानों सुगन्ध हो गये हैं।
हमारी समझमें चरित्राङ्कनमें थोडासा दोष आ गया है, पर तो भी अनेक कारणोंसे वह क्षम्य है। मूल पुस्तकमें बादशाही महलोंके दृश्य दिखलाते समय कुछ असबद्धता आ गई है, पर इसका कारण केवल यही है कि लेखक महाराष्ट्र हैं और वे शाही महलोंकी रीति नीति आदिसे यथेष्ट परिचित नहीं हैं। कचुकीरायका चरित आवश्यकतासे कहीं अधिक नीच, तुच्छ और घृणित दिखलाया गया है। तीसरे प्रकरणमें कचुकीरायको जनाने वेशमें रणदूलहखॉके पास मेजा है और वहाँ उनसे खॉके पैर दबवाये हैं। औरगजेवकी बेगम आयेशाको राजा शुभकरणकी बहन सिद्ध किया है। इनके अतिरिक्त कई ऐतिहासिक और नामसम्बन्धी भूलें भी हैं। चम्पतरायको ‘महोबा’ का राजा लिखा है जो वास्तवमें महेबाके जागीरदार थे। महोबा और महेबा जुदा जुदा स्थान हैं।
पर तो भी पुस्तकमें जितने गुण हैं उन्हें देखते हुए उक्त दोष विशेष महरखके नहीं रह जाते । इस अनुवादमें यथासाध्य वे दोष निकाल दिये गये हैं। जो बातें बहुत अनावश्यक, अनुचित या असबद्ध जान पड़ी हैं वे या तो छोड दी गई हैं और या बदल दी गई हैं। इसके अतिरिक्त मूल पुस्तकका चौवीसवाँ प्रकरण बिलकुल ही छोड़ दिया गया है, क्योंकि उसमें राजा शुभकरणकी दिल्लीके शाही महलमें उनकी बहन आयेशा ( असली ललिता) से भेंट कराई गई है। पर इस अनुवादमें ललिताका आयेशा होना इस लिए सिद्ध नहीं किया गया है कि बुन्देलखण्डके राजकुलकी कोई कुमारी मोगलोंके महलोंमें नहीं गई।
आशा है, एक परम शिक्षा-प्रद, मनोहर और उच्च कोटिके उपन्यासका यह अनुवाद पाठकोंको रुचिकर होगा। — रामचन्द्र वम्मों

Advertisement

प्रकाशक का आभार व्यक्त करना-

छत्रसालके मूल लेखक श्रीयुत बालचन्द नानचन्द शहा वकील और प्रकाशक श्रीयुत बालचन्द रामचन्द कोठारी बी ए. महाशयके हम बहुत ही कृतज्ञ हैं जिन्होंने अपने इस अपूर्व उपन्यासके हिन्दी अनुवादको प्रकाशित करनेकी आज्ञा देकर हमें बहुत ही उपकृत किया है। आप लोग यदि माज्ञा न देते, तो हिन्दी संसार इस अभिनव रचनाके आस्वादसे वंचित रहता। -प्रकाशका

पाठकों, आप इस उल्लेखनीय अनुवादित पुस्तक को एकत्र कर सकते हैं।
Collect the pdf or Read it online
इस पुस्तक के मूल स्त्रोत के बारे में जान सकते हैं, यहां से
दिए गए लिंक से ‘Chhotrasal (छत्रसाल)’ हिंदी पुस्तक को पीडीएफ फ़ाइल संग्रह कर सकते हैं या ऑनलाइन पढ़ें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *