Deerghtama (दीर्घतमा) by Suriyakant Bali, Hindi ebook pdf
Author- Suriyakant Bali (सूरियकांत बाली)
Book Type- A Hindi Novel
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 259
Size- 15mb
Quality- best, without any watermark
उपन्यास के कुछ नमूने–
दीर्घतमा को क्या पता था कि आज क्या होनेवाला है। वे तो बस अपने एक संकल्प की उत्सुकता से भरे हुए ज्ञानसत्र की ओर बढ़े चले जा रहे थे। उन्नीस वर्षीय दीर्घतमा अत्यंत सुंदर, गौरवर्ण, लंबे और भरे हुए शरीर के स्वामी थे। उनके केश धुंघराले थे। पहली बार देखने में ही देखनेवाले पर भरपूर प्रभाव डालने की क्षमतावाले। पर दीर्घतमा को पता ही नहीं चल पाता था कि उनके व्यक्तित्व का क्या प्रभाव देखनेवाले पर पड़ा। आँखों से अंधे जो थे वे। दीर्घतमा जन्मकाल से ही दृष्टिहीन थे। अपने पुत्र को अंधा पैदा हुआ देख ममता कितना रोई थी। उसकी आँखों से बरसते आँसू कई दिन तक थमे ही नहीं थे और वाणी तो जैसे उससे रूठ ही गई थी। जब स्थिर हुई तो बच्चे को छाती से चिपकाकर जो कुछ पहली बार कहा वही बच्चे का नाम पड़ गया। ममता बोली थी, ‘तमस से भरा जीवन तू कैसे जिएगा मेरे लाल ? कैसे बिताएगा अंधेरे से भरे जीवन के लंबे-लंबे वर्ष ?’ और बस, तभी से हर आश्रमवासी उस बालक को दीर्घतमा कहने लग गया जो फिर उसका नाम ही हो गया-दीर्घतमा मामतेय। ममता का पुत्र दीर्घतमा।—- पीडीएफ से अगला भाग पढ़ें।
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