Galpa-Parijat (गल्प-पारिजात) Hindi book pdf

Advertisement

Galpa-Parijat (गल्प-पारिजात) Hindi book pdf
लेखक- विभिन्न,
संग्रहकर्ता तथा संपादक- सूर्यकान्त एम. ए., डी. लिट. (पंजाब), डी. फिल. (प्रॉक्सन),
पुस्तक प्रकार- कहानी संग्रह,
फ़ाइल फ़ॉर्मट- पीडीएफ,
भाषा- हिंदी,
पेज- 311,
आकार- 10Mb,
पीडीएफ क़ुआलिटी- अच्छा, बिना किसी वॉटरमार्क के

Galpa-Parijat (गल्प-पारिजात) pdf

कहानी वालकों की अपनी चीज है। रात को भोजनोपरांत पाठशाला का काम एक ओर रख वे बड़ी-बूढ़ियों को भूत, प्रेत, राजा, रानी और उनके उड़नखटोले की कहानी सुनाने पर वाध्य करते है। कहानी से जितना प्रेम बच्चों को है, उतना ही बड़े-बूढ़ों को। पहर रात गए लाला जी दूकान से थके आते है और भोजन कर या तो रामायण आदि की कथा सुनते है अथवा सिनेमा जाकर प्रेम-कथानक देख मन बहलाते हैं। गाँव की चौपालों में भी रात को हुक्के पर अकबर-बीरबल के चुटकले चलते हैं।
कहानी की इतनी व्यापक लोकप्रियता क्यों ? इसलिये कि इसमें सुनने और पढ़नेवालों को अपने जीवन का चमत्कारी प्रतिफलन दीख पड़ता है। इसमें उन्हें अपनी दैवी, मानुषी और आसुरी वृत्तियाँ सामने खड़ी दृष्टिगत होती हैं । वह

Advertisement

दैनिक परिस्थिति और वह प्रतिदिन की कार्यशृंखला, जिसमें वे अपना जीवन विताते आए हैं, कहानी की परिधि में आ एकदम बदल जाती है। यहाँ पहुँच उस पर कल्पना की पूची से सोना फिर जाता है । प्रतिदिन के वास्तविक घटनाजाल पर कल्पना का मुलम्मा लगने में ही कथा-साहित्य का प्रादुर्भाव है ।
कहानी के साथ मनुष्य का यह प्रेम आज का नहीं, अपितु उस दिन का है, जव कि वह ईव के उपवन में झूमने वाले तरुराज का मादक फल चख, भौतिक जीवन में दीख पड़ने वाले सुख-दुःखों की पिटारी को हृदय में छिपा, स्वर्ग से धगधाम पर उतरा था और पूर्व दिशा में सुमेरु के पीछे फटने वाली उपा के अरुण प्रसर को देख उसके स्तोत्र के रूप में उसका अंतरात्मा प्रवाहित हो चला था। आर्यों के प्राचीनतम साहित्य वेद में आने वाले यम-यमी, सरमा-पणि, दुष्यंत-उर्वशी आदि के लाक्षणिक कथानकों में यही वात देव पड़ती है। उसके उपरांन ब्राह्मणों तथा आरण्यको में कहानी स्पष्ट रूप धारण कर लेती है और पीछे आने वाले महाभारत, रामायण, काव्य, नाटक, चंपू आदि में तो उसकी छलछलाती धाग वह निकलती है। संस्कृत के पंचतंत्र, हितोपदेश- आदि ग्रंथों मे विकसित हुआ कथा-साहित्य कथासरित्सागर में परिनिष्ठा का प्राप्त होता है।….

इस संग्रह में दस लेखकों की पंद्रह चुनिंदा कहानियाँ हैं।

विषयसूची
पं० चंद्रधर शर्मा गुलेरी
उसने कहा था
श्रीयुत प्रेमचंद
यही मेरी मातृ-भूमि है
दिल की रानी

श्री जैनेंद्रकुमार
अपना अपना भाग्य
निर्मम

श्री चतुरसेन शास्त्री
भिक्षुराज
श्री नाथूराम प्रेमी
विचित्र स्वयंवर
कुणाल

पं० विनोदशंकर व्यास
?
विधाता
विद्रोही

श्रीयुत मोहनलाल महतो
वे वञ्च
श्रीयुत ऋषभचरण जैन
परख
श्रीयुत सुदर्शन
सच का सौदा
श्रीयुत गोविंदवल्लभ पंत
जूठा आम

प्रिय पाठकों!, इस कहानी संग्रह पुस्तक को इकट्ठा करें और पढ़ने का आनंद लें।
Collect the pdf or Read it online
इस पुस्तक के मूल स्त्रोत के बारे में जान सकते हैं, यहां से
दिए गए लिंक से ‘Galpa-Parijat (गल्प-पारिजात)’ हिंदी पुस्तक को पीडीएफ फ़ाइल संग्रह कर सकते हैं या ऑनलाइन पढ़ें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *