Karwat by Amrit Lal Nagar Hindi hardcover book
Novel- Karwat (करवट)
Author- Amrat Lal Nagar
समय का परिवर्तन इतिहास की पूंजी है। गदर के बाद अंग्रेजी शासन और शिक्षा के प्रभाव से हमारे समाज में एक नई मानसिकता का उदय हुआ था। संघर्ष की प्रक्रियाओं में पुरानी जातीय पंचायतों को नए जातीय ‘असोसिएशनों ने करारे धक्के ही नही दिए वरन् कालान्तर में उन्हें ध्वस्त ही कर डाला। इन जातीय संघर्षों से ही नई राष्ट्रीयता ने जन्म पाया था । यह इतिहास ही इस उपन्यास में काल्पनिक पात्र-पात्रियों के द्वारा अंकित हुआ है। मेरा कथानायक खत्री जाति का है किंतु मैंने यह आवश्यक नही समझा कि उसके जीवन में आई हुई सभी घटनाएं भी केवल उसी जाति में घटित हुई हों। उदाहरण के तौर पर, मुकदमेबाजी की घटना किसी और बिरादरी में हुई यी; एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की इज्जत धूल में मिलाने के लिए उनकी मुशील और विवाहिता कन्या की दुष्टों के द्वारा उड़वा देने का काम किसी दूसरे नगर में हुआ था। इस प्रकार इतिहास को कल्पना से जोड़ते हुए मैंने कई उचित परिवर्तन किए हैं। उपन्यास भानमती का कुनबा होता है-कही की ईट, कही का रोड़ा। एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार ‘इतिहास में तारीखों के अलावा और सब कुछ गलत होता है और उपन्यास में तारीखों के अलावा और सुब सुच ‘ पाठक कृपया इसी दृष्टि से इसे देखें। कथा क्षेत्र के रूप में इस बार भी मैंने अपने चौक क्षेत्र की ही उठाया है, महत्लों के नाम सही लिखे हैं किंतु उनके जुगराफिए में फेर-बदल कर दिए हे। पुस्तक लिखने से पूर्ब् कोई पुस्तकें का अध्ययन किया। कला कंकर के पद्मशि कुबर सुरेश सिंग जी ने कोई अलभ्य पुस्तकों का दान दिया। खत्री जाति से सबंधित सामग्री कानपुर के श्री विश्वेश्वरनाथ मेहरोत्रा से मिली। कलकत्ते की पुरानी यश्री बिरादरी और सेंसस रिपोर्ट पर बर्दवान के राजा बनविहारी कपूर द्वारा चलाए गए आंदोलन की घटनाएं पंडित विष्णुकांत शास्त्री से ज्ञात हुई। प्रिय श्री लालजी टंदन पिश्च बनके होगके एि बाद धन्यवाद दूँ तो वे बुरा मान जाएगी। -अमृतलाल नागर
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