Parolok Bigyan (परलोक विज्ञान) by Arun Kumar Sharma Hindi pdf

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Parolok Bigyan (परलोक विज्ञान) by Arun Kumar Sharma Hindi pdf file
e-book- Parolok Bigyan (परलोक विज्ञान)
Author- Arun Kumar Sharma (अरुण कुमार शर्मा)
Book Type- spiritual (आध्यात्मिक)
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 408
Size- 22mb
Quality- best, without any watermark

Parolok Bigyan by Arun Kumar Sharma

परलोक का मुख्य माध्यम मृत्यू है। जब तक मृत्यु नहीं हो जाती तब तक परलोक के दर्शन नहीं हो सकते; किन्तु वेद, तन्त्र भली-भाँति यह उद्घोष करते है। कि विना मृत्यु को प्राप्त हुए भी परलोक तथा परलोक के विज्ञान को जाना जा सकता है। योग-तन्त्र की सभी शाखाओं का दर्शन एक ही मत में समाहित है, वह यह कि मृत्यु को प्राप्त हुए विना ही परलोक के विज्ञान को जाना-समझा जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में आदरणीय पं० अरुण कुमार शर्मा जी ने मानवों की परलोकसम्बन्धी जिज्ञासाओं का भली-भाँति समाधान किया है तथा कुछ ऐसे रहस्यों को आनवृत भी किया है, जो अभी तक रहस्य ही बने हुए थे; किन्तु इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पाठकों की परलोकसम्बन्धी सभी जिज्ञासाये शान्त हो जायेगी-ऐसा मुझे अनुमान ही नहीं; वरन् पूर्ण विश्वास भी है। सौभाग्य से मुझे इस पुस्तक को सम्पादित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। इस कठिन कार्य में मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ, यह तो मैं नहीं जानता, किन्तु आदरणीय गुरुदेव के आशीर्वाद से ही मै इस कार्य को सम्पादित कर सका हूँ।
श्रद्धेय पं० अरुण कुमार शर्मा जी से मेरा परिचय सन् १९८५ के लगभग हुआ था और तभी से उनके आशीर्वचनों की निरन्तर वर्षा मुझ पर होती रही है। तन्त्रसम्बन्धी जिज्ञासाओं को लिए मैं सदैव ही यत्र-तत्र शोध हेतु विद्वज्जनों के सम्पर्क में रहने का प्रयास करता रहता था। इसी बीच ईश्वरेच्छा से आदरणीय शर्मा जी का
सान्निध्य प्राप्त हुआ और अपनी अनेक जिज्ञासाओं के उत्तर भी प्राप्त हो गए। एक दिन इसी भॉति मैं शर्मा जी के आवास पर सायंकाल पहुँचा। शङ्का समाधान हेतु मन में अनेक प्रकार के प्रश्नों का अम्बार था, किन्तु जाते ही एक प्रश्न भी नहीं कर सका; क्योंकि जा कर बैठते ही आदेश हुआ कि तुम्हें परलोक विज्ञान का सङ्कलन कर उसका सम्पादन भी करना है। सङ्कलन तक तो मेरे वश में था; किन्तु सम्पादन मुझ । जैसे अल्पमति के लिए अत्यन्त दुष्कर ही नहीं; वरन् असम्भव भी था। मैंने शर्मा जी से निवेदन किया कि सङ्कलन तो समझ में आता है, किन्तु जो कुछ आपने लिखा है, उसमें मैं अकिञ्चन भला क्या सम्पादन कर सकता हूँ? शर्मा जी ने कहा कि मुझे आशा ही नहीं, विश्वास है कि तुम ही इस कार्य के लिए उपयुक्त हो तथा यह कार्य तुम्हें ही करना है।
अस्तु, आज्ञा को शिरोधार्य कर मैंने लेखों को, जिनमें से कुछ प्रकाशित थे तथा कुछ अप्रकाशित ही रखे थे, सर्वप्रथम सङ्कलित किया तथा सम्पादन, जो कि मेरे लिए स्वप्न में भी दुष्कर था, के नाम पर उन सभी लेखों को एक तारतम्य के हिसाब से बैठाने का प्रयास भी किया है। इस प्रयास में हुई गलतियों के लिये सुधी पाठक मुझ अज्ञानी को क्षमा करने के साथ ही साथ मुझे मेरी गलतियों से अवगत कराने की भी महती कृपा करेंगे; ताकि मैं अपने अज्ञान को समझ कर उसे दूर कर सकें।
अन्त में सर्वनियन्ता महाकाल के प्रति मैं श्रद्धापूर्वक नमस्कार करता हूँ, जिसने प्रत्येक क्षण उपस्थित सभी बाधाओं को दूर कर, इस महाग्रन्थ के प्राकट्य का सुयोग प्रदान किया। – महेश चन्द्र मिश्र

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लेखक परिचय
अरुण कुमार शर्मा एक ऐसे व्यक्ति का नाम है जिनकी लेखनी पिछले पचास वर्षों से अनवरत गतिशील है।
वह एक ऐसे चिन्तक और विचारक का नाम है, जिन्होंने अपने गहन गम्भीर चिन्तन मनन द्वारा भारतीय गह्य विद्याओं और उनके आध्यात्मिक तत्वों के अन्तराल में प्रवेश कर उनके विषय में अपने मौलिक विचारों को व्यक्त किया है।
यह लेखक एक ऐसे सत्यान्वेषी व्यक्ति का नाम है, जिन्होंने योग तंत्र में निहित रहस्यमय सत्यों से परिचित होने के लिए प्रच्छन्न अप्रच्छन्न भाव से विचरण और निवास करने वाले सिद्ध सन्त महात्माओं और योगी साधकों की खोज में सम्पूर्ण भारत की ही नहीं बल्कि हिमालय और तिब्बत के दुर्गम स्थानों की जीवन मरण दायिनी हिम यात्रा की है।
अरुण कुमार शर्मा एक ऐसे साहित्यकार का नाम है, जिन्होंने अपनी सशक्त आध्यात्मिक और दार्शनिक कृतियों से संबंधित समकालीनों को सैकड़ों मील पीछे छोड़ दिया है। विलक्षण प्राञ्जल भाषा, मनोहारी शिल्प आत्मग्राही शब्द सज्जा और आकर्षक प्रस्तुति करण उनकी कृतियों का विशेषण है।
हजारों पंक्तियों के बीच उनकी पंक्ति को पहचान लेना प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए सरल और सहज है। और यही वह तथ्य है जो अरूण कुमार शर्मा को अरूण कुमार शर्मा बनाता है। -सागर शर्मा
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