Parshuram ki Prateeksha (परशुराम की प्रतीक्षा) by Ramdhari Singh Dinkar Hindi poetry ebook pdf
e-book name- Parshuram ki Prateeksha (परशुराम की प्रतीक्षा)
Author- Ramdhari Singh Dinkar
Category- Poetry
Language- Hindi
Format- PDF
Pages- 82
Size- 4mb
Quality- nice, no watermark
इस संग्रह मे कुल अठारह कविताए है जिनमे से पद्रह ऐसी है जो पहले किसी भी मग्रह म नही निकली थी । केवल तीन रचनाए सामधेनी स लेकर यहा मिला दी गयी है । यह इसलिए कि इन कविताओ का असली समय अब आया ह ।
नेफा-युद्ध के प्रसग मे भगवान परशुराम का नाम अत्यन्त समीचीन है। जब परशुराम पर मात हत्या का पाप चढा वे उससे मुक्ति पान को सभीतीथों मेघमते फिरे कितु कही भी परशु पर से उनकी वज्रमूठ नही खुली यानी उनके मन स से पाप का भान नही दूर हुआ । तब पिता ने उनसे कहा कि कैलास के समीप जो ब्रह्मकुण्ड है उसमे स्नान करन स यह पाप छूट जायगा। नितान, परगुराम हिमालय पर चढकर कलास पहुँच और ब्रह्मकुण्ड मे उन्होने स्नान किया । ब्रह्मकुण्ड म डुबकी लगाते ही परशु उनके हाथ से छूट कर गिर गया अथात उनका मन पाप मुक्त हो गया ।
तीथ का इतना जाग्रत देखकर परशुराम के मन मे यह भाव जगा कि इस कुण्ड के पवित्र जल को पथ्वी पर उतार देना चाहिए । अतएव, उन्होने पवत काट कर कुण्ड से एक धारा निकाली जिसका नाम ब्रह्मकुण्ड से निकलने के कारण ब्रह्मपुत्र हुआ । ब्रह्मकुण्ड का एक नाम लोहित कुण्ड भी मिलता हे । एक जगह यह भी लिखा ह कि ब्रह्मपुत्र की धारा परशुराम ने ब्रह्मकुण्ड से ही निकाली थी कितु आगे चलकर वह धारा लोहित-कुण्ड नामक एक आय कुण्ड मे समा गयी। परशुराम न उस कुण्ड से भी धारा को आगे निकाला, इसलिए, ब्रह्मपुत्र का एक नाम लोहित भी मिलता है। स्वय कालिदास ने ब्रह्मपुत्र को लोहित नाम से ही अभिहित किया है। और जहा ब्रह्मपुत्र नदी पवत से पृथ्वी पर अवतीण होती हे,वहा आज भी परशुराम कुण्ड मोजूद है, जो हिन्दुओ का परम पवित्र तीथ माना जाता हे ।
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Parshuram ki Prateeksha