Rahasya (रहस्य) by Arun Kumar Sharma Hindi ebook pdf

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Rahasya (रहस्य) by Arun Kumar Sharma Hindi ebook pdf file
e-book novel- Rahasya (रहस्य)
Author- Arun Kumar Sharma
Book type- Spiritual
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 485
Size- 30mb
Quality- best quality, without any watermark

Rahasya by Arun Kumar Sharma

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‘रहस्य’ (सत्य घटनाओं पर आधारित अविश्वसनीय रहस्य कथाएँ)- अरुण कुमार शर्मा, संकलन- मनोज कुमार शर्मा

पं. अरुण कुमार शर्मा के कथा-कहानी लिखने का एकमात्र उद्देश्य रहा है, घटनाओं का आश्रय लेकर योग तंत्र, ज्योतिष, धर्म संस्कृति आदि आध्यात्मिक विषयों को जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करना ताकि वे उनसे परिचित हो सके। इस प्रकार शर्माजी ने कथा साहित्य के क्षेत्र में कथा शैली की एक नवीनधारा का सृजन किया है।
पिछले पांच दशक के अन्तर्गत श्री शर्माजी ने कितनी कथा कहानियाँ लिखी, उन्हें उंगली पर नहीं गिना जा सकता। यहाँ यह कहना असंगत न होगा कि श्री शर्माजी का जीवन रहस्यमय रहा है। यहां तक कि वे स्वयं अपने आपमें एक रहस्य है। उनका सहज मिलनसार व्यक्तित्व निश्छल और अपनत्व भरा व्यवहार साथ ही साधारण जीवन देखकर ऐसा कभी नहीं प्रतीत होता कि एक दुबले, पतले लम्बे गौरवर्णीय वृद्ध शरीर में स्थित आत्मा ने सत्य की खोज में कितनी कष्टदायिनी दुर्गम यात्रायें की है। कितना कष्ट झेला है और उठाया है कितना दुःख जो समझने वाला होता है, वही उनके अन्तर्मुखी रहस्यमय व्यक्तित्व को समझ सकता है साधारणजन नहीं ।
योग-तंत्र, ज्योतिष, शास्त्र, उपनिषद, वेद-पुराण और दर्शन की अदभुत व्याख्या करते हैं शर्माजी। गूढ़ और रहस्यमय विषयों को सरल सुबोध और हृदयंगम बनाकर उसे अपनी प्राञ्जल भाषा में प्रस्तुत करना शर्माजी की अपनी मौलिक विशेषता है। उनकी पुस्तक उठाइये, पढ़िये, फिर उसे अपने से अलग करने की इच्छा ही न होगी पहले पचास सालों से अनवरत लिखने वाला व्यक्ति आज भी कहता है कि अभी तो कुछ लिखा ही नहीं। यदि देखा जाय तो एक प्रकार से उनका यह कहना सत्य भी है। दीर्घकाल का स्व अर्पित स्वानुभवपूर्ण उनका ज्ञान और उसकी आन्तरिक अध्यात्मपरक अनुभूतियाँ वस्तुतः पूर्णरूप से पुस्तक अथवा अन्य किसी रुप में अभिव्यक्त नहीं हो पायी है अभी तक। इसकी पीड़ा है श्री शर्माजी को और उस आन्तरिक पीड़ा को दबाये आज इस अवस्था में भी लिखते ही रहते हैं कुछ न कुछ। जैसे ‘लिखना आज इस शतउनकी नियति है और है कर्तव्य।

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इस प्रसंग में यह भी बतला देना आवश्यक है कि श्री शर्माजी की कई ऐसी महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पुस्तके हैं जो अपूर्ण है। इसी प्रकार आध्यात्मिक विषयों से संबंधित कुछ ऐसी भी पाण्डुलिपियाँ है, जो इन पुस्तकों की ही तरह अधूरी पड़ी है। यदि अधूरी पुस्तकों और अधूरी पाण्डुलिपियों का प्रकाशन हो जाय तो आध्यात्मिक साधना क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रान्ति मच सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह कि श्री शमीजी जिस विषय पर लिखते हैं उस विषय का उन्हें अपना स्वानुभव होता है और यही उनकी रचनाओं की विशेषता है और यह विशेषता अन्यः कहीं नहीं दिखती।
इस संबंध में श्री शर्माजी का कहना है कि काल का प्रवाह ही जीवन है। मेरे लिए जीवन और उसके प्रत्येक क्षण मूल्यवान हैं। प्रत्येक क्षण को भोगना चाहता हूँ मैं। जैसाकि गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है-मै समय में ‘क्षण हैं। प्रत्येक क्षण का अपना भोग है। मनुष्य जब एक क्षण भोग लेता है तो दूसरा क्षण भोगने के लिए मिलता है उसे लकिन काल का प्रवाह इतना तीव्र है कि इसका पता मनुष्य को नहीं चलता। मैं प्रत्येक क्षण को भोगने के लिए प्रयास करता हूँ और अपने प्रयास में सफल भी होता हैं क्योंकि काल की गति से भलीभांति परिचित हूँ मैं और मैं यह भी जानता हूँ कि मेरे जीवन में अब समय बहुत ही कम है। मुझे विश्वास है इस अल्प समय में सभी अपूर्ण को पूर्ण कर लूंगा मैं यदि माँ महामाया की कृपा रहीं तो….। रही प्रकाशित होने की बात तो इसका उत्तरदायित्व मनोज कुमार शर्मा पर है। मैं संसार में रहूँ या न रहें, लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह अवश्य करेंगे। मुझे यह भी विश्वास है कि मेरे प्रबुद्ध पाठकों की प्रेरणा भी सदैव उपलब्ध होती रहेगी उनको। मैं भलीभांति जानता हूँ कि मनोज कुमार शर्मा एक कर्मठ और दूरगामी विचार के व्यक्ति है। वे निश्चय ही मेरे संकल्प को साकार करेंगे इसमें सन्देह नहीं । -प्रकाशक

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