Rajkumari (राजकुमारी)- Bamkim Chandra Chattopadhyay free ebook pdf file
e-book name- Rajkumari (राजकुमारी)
Author- Bamkim Chandra Chattopadhyay
Book Type- a social novel
File Format- PDF
Language- Hindi
Pages- 187
Size- 7mb
Quality- best, without any watermark
यह उपन्यास बङ्गभाषा के सुप्रसिद्ध लेखक स्वर्गीय श्रीबंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का लिखा हुआ है। इसका हिन्दी अनुवाद श्रीमान् पण्डित किशोरीलाल जी गोस्वामी ने किया है। यह उपन्यास बड़ा ही दिलचस्प और अनूठा है । इन्दिरा का ससुरार जाते समय रास्ते में डाकुओं के द्वारा लूटी जाना, फिर जङ्गलों में भटकना और धीरे धीरे एक वकील के यहां रसोई करने पर रहना और वकील की स्त्री के साथ सखी-भाव का स्थापित होना और बूढ़ी मिसरानी जी की दिल्लगी, पके बालों में खिजाब का परिहास आदि देखने ही योग्य है। अन्त में इन्दिरा के पति का वकील के यहां आकर ठहरना और फिर इन्दिरा का अपने पति के पास ‘परनारी’ के रूप में जाना और इन्दिरा को उसके पति का ‘पर-स्त्री ‘ समझकर ग्रहण करना और उसे लेभागना फिर अन्त में भेद का खुलना और इन्दिरा का सुखी होना आदि बड़ी ही विचित्र घटनाएं इस उपन्यास में हैं । पुस्तक पढ़ने ही योग्य है।
लेखकों के बारे में कुछ-
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (26 जून, 1838 – 8 अप्रैल, 1894) उन्नीसवीं सदी के बंगाली लेखक और पत्रकार थे। बंगाल के पुनर्जागरण के मुख्य व्यक्तियों में से एक। उनका जन्म 27 जून, 1838 को 24 परगना जिले के कंथालपारा गाँव में हुआ था। बंगाली गद्य और उपन्यास के विकास में उनके असीम योगदान के लिए बंगाली साहित्य के इतिहास में उनकी अमरता है। बंकिम चंद्र ने हिंदू धर्म के पुनरुत्थान पर अपने निबंध और ग्रंथों में ‘बंदे मातरम”, ‘मातृभूमि’, ‘जन्मस्थान’, ‘स्वराज’, ‘मंत्र’ आदि जैसे नए नारे बनाएँ। बंकिमचंद्र ने अपना पहला दो प्रसिद्ध उपन्यास दुर्गेशानंदिनी (1865) और कपालकुंडला (1866) लिखा, तब वह चौबीस परगना जिले में बारवी पुर के डिप्टी मजिस्ट्रेट था। बाद में, 1887 तक उनकी अन्य गद्य रचनाओं के साथ कुल चौदह उपन्यास प्रकाशित हुए। उन्होंने कमलाकांत को छद्म नाम के रूप में चुना। आनंदमठ (1882) बंकिम चंद्र का अंतिम यादगार साहित्यिक कार्य है।
आज मैं इस लेखक का एक अनोखा उपन्यास आपके साथ यहाँ शेयर करूँगा। उपन्यास का नाम- राजकुमारी। यह एक सामाजिक उपन्यास है।
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