Sharat Sahitya Shrikant (शरत साहित्य श्रीकांत) All vol Hindi ebooks pdf
e-book name- Sharat Sahitya Shrikant (शरत साहित्य श्रीकांत) All Vol.
Author- Sharat Chandra Chattopadhyay
Translated by- Hemchand Modi
File Format- PDF
Language- Hindi
Quality- good, no watermark
शरत-साहित्य का चौथा भाग पाठकॉके सम्मुख उपस्थित है और पाँचवाँ भी। इन दो भागोंमें शरत् बाबूके अतिशय प्रसिद्ध और श्रेष्ठ उपन्यास ‘श्रीकान्त’के दो पर्व प्रकाशित हो रहे हैं। अबसे कोई २० वर्ष पहल बगलाके सुप्रसिद्ध मासिकपत्र ‘भारतवर्ष”में यह * श्रीकान्तेर भ्रमण-काहिनी “क नामसे धारावाहिकरूपमें प्रकाशित हुआ था और उसी समय मैंने इस पढ़ा था । विल्कुल अधूर्व चीज थी, पढ़कर मुग्ध हो गया और विचार किया कि हिन्दी पाठकोंको भी इसका रसास्वाद कराना चाहिए, परन्तु उस समय वह विचार इच्छा रहते हुए भी अनक कारणोंसे कार्यमें परिणत न हो सका। आज मुझे बड़ा सन्तोष हो रहा है कि इतने लम्बे समयके बाद भी मेरे उस इच्छाकी पूर्ति हो रही है। शरद् बाबूकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओंमें इसकी गणना है और उपन्यास-साहित्यमें तो यह अपने ढगका अकेला ही है। विदेशी तक इसकी ख्याति पहुँच गई है और यूरोपकी दो प्रधान भाषाओं,-अँग्रेजी और फ्रेंचमें, इसके अनुवाद हो चुके हैं जिनका खूब सम्मान हुआ है और शरद् बाबूकी गणना ससारके श्रेष्ठ उपन्यास-लेखकोमें की जाने लगी है। यह अनुवाद मेरे आयुष्मान पुत्र हेमचन्द्रने किया है। यह कैसा हुआ है, इसका निर्णय तो सहृदय पाठक ही करेंगे, मैं तो इतना ही कह सकता हूँ केि इसके लिए काफी परिश्रम किया गया है और मूलके भावेंकी रक्षामे पूरी सावधानी रक्खी गई है। फिर भी यदि कुछ त्रुटियाँ रह गई हों, तो उसका यह पहला प्रयत्न समझकर पाठक दर गुजर करेंगे, ऐसी आशा है। सुलभ साहित्य-मालाके प्रचारके सम्बन्धम हमने जे आशा कर रक्खी थी, अभीतक तो उसके पूर्ण होनेके कोई लक्षण नहीं दिखलाई दिये, हम चाहते थे कि इसके इतने स्थायी ग्राहक हो जॉर्वे कि विक्रीकी कोई चिन्ता न रहे, केवल अच्छे प्रकाशनकी ओर ही हम अपनी सारी शक्ति लगा सके। फिर भी अभी हम सर्वथा निराश नहीं हुए हैं और कमसे कम छह महीना और भी प्रतीक्षा करेंगे।
अन्तमे इस पुस्तक-मालाके सतेपनके विषयमें पाठकोको यह सूचित कर देना आवश्यक है कि मूल बंगलामे ‘श्रीकान्त’के प्रत्येक पर्वका मूल्य डढ़ रुपया है। इसी प्रकार ‘श्रीकान्त के दो पर्वोका अभी जो गुजराती अनुवाद प्रकाशित हुआ है, उसका मूल्य भी तीन रुपया है जब कि हमारे पाठक उत्त दो पर्वोको केवल एक रुपयामें, अर्थात् एक तिहाई मूल्यमें, घर बैठे प्राप्त कर सकेंगे । भला, इससे अधिक सस्तापन और क्या हो सकता है ?
पाठकेंस प्रार्थना है कि वे इस मालाके प्रचारमें हमारा हाथ बँटाव और हिन्दीके भाण्डारकी समृद्ध करनेकी इस योजनाकी विफल न होन दें।
Hindi ebooks pdf
Sharat Sahitya Shrikant Vol- 1
Or Link-2
Pages- 156
PDF Size- 6mb
Sharat Sahitya Shrikant Vol- 2
Or Link-2
Pages- 309
PDF Size- 5mb
Sharat Sahitya Shrikant Vol- 3
Or Link-2
Pages- 171
PDF Size- 5mb
Sharat Sahitya Shrikant Vol- 4
Or Link-2
Pages- 184
PDF Size- 6mb