Sukh Yahan (सुख यहाँ) All Parts- Sahajananda Maharaj Hindi book pdf

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Sukh Yahan (सुख यहाँ) All Parts- Sahajananda Maharaj Hindi book pdf

Sukh Yahan by Sahajananda Maharaj pdf

e-book name- Sukh Yahan (सुख यहाँ)
Author- Sahajananda Maharaj (सहोजानन्द महाराज)
Language- Hindi
Book genre- Spiritual ebook
File format- PDF
Quality- best, no watermark

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हम आप जीव है । जिनमे जानने देखनेकी शक्ति हो उसे जीव कहते है । जो इस शक्तिसे रहित है उन्हे अजीव कहते है । जो जानने, देखने वाली ज्योति है वही मैं हूँ । इस ज्योतिके साथ अविनाभावी आनन्द है । इस प्रानन्द गुणके विकास सुख-दुःख व आनन्द है । सब जीव यही चाहते हैं कि मैं सुखी रहू, दुःख न भोगू । हम जितना भी प्रयास करते हैं, काम करते है उसका उद्देश्य केवल यही है कि मैं सुखी रहू, दुःखसे छुटकारा पा जाऊं। सुखकी खोजमे ही रात दिन लगा रहता है यह, लेकिन क्या अभी तक सुख प्राप्त कर सके ? नही । क्योंकि हमारी खोज, हमारा प्रयास विवेकपूर्ण नहीं है । हम जितनी भी सुखी होने का प्रयास कर रहे हैं उसका परिणाम उल्टा ही होता है । कारण यह है कि हमारी खोज परपदा
मे है । यदि हम स्वयं को देखें, समझे, अनुभव करें तो यहो पावेंगे कि सुख कही नही, – नन्द किसी स्थान पर न मिलता है, न बिकता है किन्तु मुझमे स्वयं मे ही आनन्द लबालब भरा हुआ है । जिसकी प्राप्ति भटकते रहने के कारण मै आज तक न कर सका । हम आज तक दुखो को सुख मानकर भोगते रहे। ….

ज्ञान और सुख अन्य कुछ चीज नही है । मैं ही ज्ञान हु और मैं ही सुख हु । हम बाहर क्या ढूंढ ना चाहते है ? जगत के जीव बाहर मे क्या ढूंढा करते है सो बतलावो । सुख और ज्ञानसे बढ़कर क्या ढूढते हो ? किसकी जानकारी कर रहे हो ? अब क्या होना चाहिए ? हम कथा और उपन्यासको पुस्तकें पढते है, तो हम ज्ञान अन्य जगह ढूंढते है और सुख अन्य जगह ढूंढ़ते है । उपन्यास पढ़ते है तो यही इच्छा रहती है कि अभी आगे और पढ़ लें । अब आगे क्या है यह और जान लें । और भी समझनेकी, जानने की चेष्टाये करते है । सुख प्राप्त करनेके लिए विवाह करते हैं, सतान उत्पन्न करते है, धन कमाते है, महल बनवाते है, सभा सोसायटी करते है, राज्य बनाते है ये सब किसलिए करते हैं ? सुखके लिए, तो जितने भी यत्न बाहरमे करते है वे सुखके लिए करते है । पर अध्यात्मयोगी ऋषिजन बतलाते है कि सुख अन्यत्र न मिलेगा । किसी अन्य जगह सुख नही हैं । सुख कहाँ मिलेगा और मिलेगा कैसे ? सुख कोई अलग चीज थोडे ही है । हमे दुःखमयी विकल्पोसे हटनेकी जरूरत है, सुख रूप तो हम स्वय हैं। जीवोका और स्वरूप क्या है सो बतलाऔ ।…..

  1. Sukh Yahan (सुख यहाँ) Vol- 1 and 2
    PDF size- 32mb
    Pages- 555
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  2. Sukh Yahan (सुख यहाँ) Vol- 3 and 4
    PDF size- 26mb
    Pages- 395
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    प्रिय पाठकों, इस असाधारण आध्यात्मिक पुस्तक के चार भाग प्राप्त करें पीडीएफ फाइल के रूप में।

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