Trithkar Mahabir Aur Unki Acharya Parampora (तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा) by Dr. Nemi Chandra Shastri
e-book name- Trithkar Mahabir Aur Unki Acharya Parampora (तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा) Part- 1 Hindi ebook pdf
Author name- Dr. Nemi Chandra Shastri
Language- Hindi
File format- PDF
PDF size- 23mb
Pages- 667
Quality- good, without watermark
भारतवर्षका क्रमबद्ध इतिहास बुद्ध और महावीरसे प्रारम्भ होता है। इनमेंसे प्रथम बौद्धधर्मके संस्थापक थे, तो द्वितीय थे जैनधर्मके अन्तिम तीर्थकर। धर्मरूपी तीर्थके प्रवर्तकको ही तीर्थकर कहते है। आचार्य समन्तभद्रने पन्द्रहवें तीर्थकर धर्मनाथकी स्तुतिमें उन्हें ‘धर्मतीर्थमनध प्रवर्तयन्’ पदके द्वारा धर्मतीर्थका प्रवर्तक कहा है। भगवान महाबीर भी उसी धर्मतीर्थके अन्तिम प्रवर्तक थे और आदि प्रवर्तक थे भगवान् ऋषभदेव। यही कारण है कि हिन्दू पुराणोंमें जैनधर्मकी उत्पतिके प्रसंगसे एकमात्र भगवान् ऋषभदेवका ही उल्लेख मिलता है किन्तु भगवान् महावीरका संकेत तक नहीं है जब उन्होंके समकालीन बुद्धको विष्णुके अवतारोंमें स्वीकार किया गया है। इसके विपरीत त्रिपिटक साहित्यमें निग्गठनाटपुतका तथा उनके अनुयायी निर्ग्रन्थोंका उल्लेख बहुतायतसे मिलता है। उन्हींकी लक्ष्य करके स्व० डॉ० हर्मान याकोवीने अपनी जैन सूत्रोंकी प्रस्तावनामें लिखा है-‘‘इस वातसे अब सब सहमत हैं कि नातपुत, जो महाबीर अथवा वर्धमानके नामसे प्रसिद्ध हैं, बुद्धके समकालीन थे। बौद्धग्रन्थोंमें मिलनेवाले उल्लेख हमारे इस विचारको दृढ़ करते हैं कि नातपुतसे पहले भी निग्रंन्योंका, जो आज जैन अथवा आहंत नामसे अधिक प्रसिद्ध हैं, अस्तित्व था। जब बौद्धधर्म उत्पन्न हुआ तब निग्रन्थोंका सम्प्रदाय एक बड़े सम्प्रदायके रूप में गिना जाता होगा। बौद्ध पिटकोंमें कुछ निग्रन्थोंका बुद्ध और उनके शिष्योंके विरोधीके रूपमें और कुछका बुद्धके अनुयायी बन जानेके रूपमें वर्णन आता है। उसके ऊपरसे हम उक्त अनुमान कर सकते हैं। इसके विपरीत इन ग्रन्थोंमें किसी भी स्थानपर ऐसा कोई उल्लेख या सूचक वाक्य देखने में नहीं आता कि निर्ग्रन्थोंका सम्प्रदाय एक नवीन सम्प्रदाय है और नातपुक्त उसके संस्थापक हैं। इसके ऊपरसे हम यह अनुमान कर सकते हैं कि बुद्धके जन्मसे पहले अति प्राचीन कालसे निर्ग्रन्योंका अस्तित्व चला आता है।”..
Trithkar Mahabir Aur Unki Acharya Parampora