Char Divari (चार दीवारी) by Manmohan Madariya Hindi novel pdf
e-book name- Char Divari (चार दीवारी)
Author name- Manmohan Madariya
Language- Hindi
File format- PDF
PDF size- 24mb
Pages- 112
Quality- good, without watermark
‘चार दीवारी’ प्रथम बार इलाहाबाद के ‘उपन्यास’ मासिक में प्रकाशित हुआ था। उसके प्रकाशन के करीब तीन सप्ताह बाद लेखक को एक पत्र मिला था जो किसी विवाहिता महिला का था, हस्ताक्षर के स्थान में श्रीमती का० श्रीवास्तव लिखा था । उसमें प्रेषिका का पूरा पता नहीं था तथापि डाक की मुहर से स्पष्ट था, वह लखनऊ से भेजा गया था। चूंकि वह पत्र ‘चार दीवारी’ के सम्बन्ध में है, इस लिए उसे यहाँ उद्धृत किया जा रहा है। मूल पत्र अँग्रेजी में है, पुस्तक की भाषा के अनुरूप उसका उल्था यों है :
प्रिय महाशय,मैंने आपका उपन्यास ‘चार दीवारी’ अभी-अभी ही पढ़कर समाप्त किया है। जहाँ तक मुझे याद है, मैं आपसे कभी नहीं मिली। मेरे किसी परिचित अथवा सम्बन्धी के मुख से भी आपका जिक्र नहीं सुना। फिर आश्चर्य है, यह कहानी जो मेरी आप बीती है आपको कैसे मालूम हुई ? मैं इसे एक इत्तफाक नहीं मान सकती क्योंकि इसकी हर घटना, हर चरित्र, हर प्रसंग एकदम सत्य है-मैंने भुगता है। मैं आपको, आपके उपन्यास को सत्यता का प्रमाण-पत्र नहीं देना चाहती। मैं तो यह जानना चाहती हूँ कि आपने मुझे, मेरे जीवन को रोशनी में क्यों ला दिया ? किसी भी सम्भ्रांत महिला के लिए क्या यह उचित है ? आप ही सोचिए ! – –
मूल पत्र में कुछ बातें और हैं लेकिन उसका आशय समझने के लिए उपयुक्त अंश ही पर्याप्त है । लेखक पत्र-प्रेषिका को व्यक्तिगत रूप से उत्तर देना चाहता था लेकिन पूरा पता ज्ञात न होने के कारण असमर्थ है। लेखक यहाँ सार्वजनिक रूप से घोषित करता है कि वह लखनऊ की श्रीमती का० श्रीवास्तव से वास्तव में पूर्णत: अपरिचित है। श्रीमती का० श्रीवास्तव को ऐसा भ्रम जाने क्यों हुआ ! ‘चार दीवारी’ को पढ़ने के बाद सम्भवत: पाठक इस भ्रम का निवारण कर सकें। अतएव प्रबुद्ध पाठक अवश्य राय दें। -मनमाहन मद्वारया
Hindi novel pdf Char Divari (चार दीवारी)