Vijaya (Datta) by Sharat Chandra Chattopadhyay Hindi ebook pdf

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Vijaya (Datta) विजया (दत्ता) by Sharat Chandra Chattopadhyay Hindi ebook pdf

Vijaya (Datta) by Sharat Chandra Chattopadhyay
e-book name- Vijaya (Datta) विजया (दत्ता) Hindi novel
Author name- Sharat Chandra Chattopadhyay
Translated by- Harsh Kumar Tiwari
File format- PDF
PDF size- 3mb
Pages- 176
Quality- good, no watermark

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उन दिनों हुगली प्राच स्कूल हेडमास्टर साहब जिन तीन लडकी को अपने स्कूल का रत्न बताया करते थे, वे तीनो तीन अलग-अलग गाँव से रोज कोस भर पैदल चल कर पढने आमा करते थे । अजीय मुहब्बन थी उनमें झभी ऐसा नही होता कि रास्ते में उस बरगद के नीचे इकट्ठे हुए बिना वे स्कून में कदम रक्वें । तीनों का पर हुगली के पश्चिम पडता था। जगदीश सरस्वती का पुल-पार करके दिधडा गाँव से आता था और वनमाली तथा रासबिहारी आते ये अगल-बगल भी दो मस्तियों से-छुप्णपुर और राधापुर। जगदीश उन सबों में जैसा मेधावी था, उसकी हालत भी वैसी ही उन सबों से बुरी थी। पिता पुरोहित थे। यजमानी करके, ब्याह-जनेऊ कराके गुजारा चलाते थे। वनमाली सपन्न घर का था। उसके पिता को लोग कृष्णपुर या जमीदार कहा करते थे । रासबिहारी की हालत भी अच्छी खासी थी । जगह जमीन, सेतीयारी, बाग-तालाब, गाँव धर म जी रहने से मजे में गुजर-बसर चल सकता हो, सब कुछ होने के बावजूद ये लडके शहर मे किराए का भकान लेकर क्या आधी और क्या पानी, सर्दी-गर्मी झेलकर रोज जो घर से इतनी दूर स्कूल आयाजाया करते थे, इसकी वजह यह थी कि तब वे माता पिता बच्चो की इस तकलीफ को तकलीफ ही नहीं गिनते थे, बल्कि यह सोचते थे कि इतना-सा कष्ट न उठाए तो सरस्वती की कृपा ही नही होने की। खैर कारण चाहे जो हो, उन तीनी लडकी ने इट्रस इसी तरह से पास किया था। बरगद के नीचे बैठ कर, उस पेड को गवाह रखकर तीनो दोस्त रोज यही प्रतिचा करते थे कि जिदगी में वे ममी अलग न होंगे, व्याह नही करगे और वकील बनकर तीनों एक मकान में साथ-साथ रहगे, रुपए कमा पर एक स”दूक में जमा करेंगे और उन रुपयो से देश-सेवा करेंगे ।..
Hindi ebook pdf Vijaya (Datta)

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